नागपुर. रमाई घरकुल योजना के लाभार्थियों को न्याय दिलाने के नाम पर भाजपा की ओर से हाल ही में मोर्चा निकाला गया. मोर्चे में शामिल होने के इच्छुकों के लिए भाजपा की ओर से मनपा की आपली बसों का उपयोग किया गया. नियमों के अनुसार सरकारी बसों पर राजनीतिक झंडे और बैनर लगाने की पाबंदी है.इस नियम का उल्लंघन होने के कारण मोर्चा के संयोजक पार्षद धर्मपाल मेश्राम को मनपा प्रशासन की ओर से नोटिस जारी किया गया.आपली बस के हुए दुरुपयोग पर अब भाजपा की ओर से लीपापोती की जा रही है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्षद मेश्राम ने पालक मंत्री के दबाव में उन्हें नोटिस दिए जाने का आरोप पत्र परिषद में लगाया. हालांकि इसके सबूत मांगने पर उन्होंने अपने सूत्रों का हवाला देकर प्रश्न को ही टाल दिया.
अब तक नहीं मिला नोटिस
पार्षद मेश्राम ने कहा कि मनपा की ओर से 60 बस किराये पर लिए गए थे. इन बसों पर पार्टी के पोस्टर और बैनर लगाए जाने से प्रशासन द्वारा नोटिस जारी किए जाने की चर्चा जोरो पर है. किंतु वास्तविकता यह है कि अब तक अधिकृत रूप से नोटिस उन्हें नहीं दिया गया है. परिवहन व्यवस्थापक द्वारा निकाली गई कारण बताओ नोटिस अब तक प्राप्त नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि आपली बस गैर राजनीतिक कार्यक्रम के लिए उपलब्ध कराई जा सकती है जबकि राजनीतिक कार्यक्रम के लिए नहीं दी जा सकती है. इसका खुलासा नोटिस में हुआ है लेकिन आपली बस का संचालन करनेवाली कम्पनियों तथा मनपा के बीच इस तरह से कौनसा समझौता हुआ है. इस तरह का प्रस्ताव कब मनपा की सभा में रखा गया था. किस अधिकारों के तहत नोटिस जारी किया गया. इसका पलटवार भी उन्होंने किया.
नियमों को ताक पर रखते हैं अति. आयुक्त मीना
अति. आयुक्त दीपककुमार मीना द्वारा ही नियमों का उल्लंघन होने का हवाला देते हुए पार्षद मेश्राम ने कहा कि आयुक्त की अनुमति के बिना ही मनपा का वाहन गोंदिया लेकर गए थे. ड्राइवर द्वारा मंजूरी जरूरी होने का उल्लेख करने पर उसे ही फटकार लगाई. यहां तक कि मनपा में आने के बाद अपने कक्ष के इंटीरियर पर लाखों रु. की फिजूलखर्ची की. मनपा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी फर्निचर एयर कंडीशन और अन्य सुविधाओं पर अनाप-शनाप खर्च करने का आरोप भी मेश्राम ने लगाया.