Super Specialty Hospital Nagpur
File Photo

    Loading

    • 07 विभागों का समावेश 
    • 02 विभागों में ही स्नातकोत्तर की सीटें 
    • 600 से अधिक OPD 
    • 1985 में हुई शुरुआत 

    नागपुर. शासकीय अस्पतालों में आने वाले मरीजों को अति विशेषोपचार के लिए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में रेफर किया जाता है ताकि उनका बेहतर इलाज हो सके लेकिन सिटी के सुपर स्पेशालिटी हॉस्पटिल में सरकारी अस्पतालों से रेफर होने वालों की तुलना में प्राइवेट अस्पतालों से रेफर होने वालों की संख्या अधिक है. इतना ही नहीं कई मरीज तो सीधे सुपर में ही इलाज के लिए चले जाते हैं. सरकार ने सुपर को एजुकेशन इंस्टीट्यूट के रूप में तैयार करने के उद्देश्य से शुरू किया था ताकि सुपर स्पेशालिटी डॉक्टर तैयार हो सके, लेकिन उद्देश्य अब तक पूरा नहीं हो सका है. विकास के लिए सरकार के बुस्टर डोज की आवश्यकता है.

    1985 में शुरू हुये सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल अब भी पूरी तरह एजुकेशन इंस्टीट्यूट नहीं बन सका है. सुपर में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, कार्डियोलॉजी, सीवीटीएस, नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी विभाग है. मेडिकल में प्लास्टिक सर्जरी और पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग है, जहां सुपर स्पेशालिटी उपचार मिलता है. दरअसल सुपर को एजुकेशन इंस्टीट्यूशन का दर्जा तब मिलेगा, जब सभी विभागों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू हो सकेगे. सीनियर रेसिडेंट मिलने से मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा, साथ ही इलाज का दायरा भी बढ़ेगा. 

    वरिष्ठ डॉक्टरों का कमी

    जबकि इतने वर्षों बाद भी सुपर के सभी विभागों में डीएम या एमसीएच पाठ्यक्रम शुरू नहीं हो सका. केवल गेस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में स्नातकोत्तर की 2 सीटें, कार्डियोलॉजी में 4 सीटें हैं. यूरोलॉजी,न्यूरो सर्जरी में स्नातकोत्तर की सीटें शुरू करने की प्रक्रिया जारी है. जबकि मेडिकल में कार्यरत इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी में हाल ही में 2 सीटें मिली हैं. फिलहाल सुपर की ओपीडी 600-800 तक पहुंच गई है. एक विभाग की एक सप्ताह में केवल दो ही ओपीडी होती है. इस वजह से मरीजों की लंबी कतार लगती है. वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ ही वरिष्ठ निवासी डॉक्टरों की कमी भी गंभीर समस्या बनी हुई है.

    सरकार नहीं गंभीर

    सरकार ने इतने वर्षों में सुपर के विकास को गंभीरता से नहीं लिया. यदि सभी विभागों में स्नातकोत्तर की सीटें शुरू हो जाये तो हर वर्ष सुपर स्पेशालिटी डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी. इससे मरीजों को लाभ मिलेगी. साथ ही आईपीडी शुरू करने पर भी विचार किया जा सकता है. इसके लिए आवश्यक है कि सरकार ध्यान दें. जिस तरह इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निधि आवंटित की जा रही है, उसी तरह स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए निधि उपलब्ध कराये. साथ ही वरिष्ठ डॉक्टरों के खाली पदों को भरा जाये.