strike

Loading

नागपुर. राज्य के जूनियर कॉलेज शिक्षकों में सरकार की नीतियों को लेकर फिर से नाराजगी का माहौल है. विविध प्रलंबित मागों के लिए शिक्षकों ने उत्तरपत्रिका मूल्यांकन पर बहिष्कार किया था. २१ फरवरी से २ मार्च तक शिक्षकों ने मूल्यांकन ही नहीं किया. बाद में सरकार ने महासंघ नियामक मंडल व विजुक्टा के पदाधिकारियों से बैठक लेकर मांगें मान्य करने का लिखित आश्वासन दिया लेकिन आश्वासन की पूर्तता नहीं होने से शिक्षकों ने फिर से आंदोलन की चेतावनी दी है.

शालेय शिक्षण मंत्री दीपक केसरकर, मुख्य सचिव रणजीत सिंह देओल की प्रमुखता में राज्य महासंघ के अध्यक्ष डॉ. संजय शिंदे, समन्वयक प्रा. मुकुंद आंदलकर की अगुवाई में बैठक ली गई थी. इसमें १ नवंबर, २००५ से पहले सेवा में शामिल बिना अनुदानित, अंशत: अनुदानित शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समिति गठित कर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया गया था. साथ ही १०-२०-3० वर्ष बाद की सेवातंर्गत आश्वासित प्रगति योजना लागू करने प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजने, शिक्षक भर्ती के लिए अधिवेशन काल में उच्च स्तरीय सचिव समिति की बैठक लेकर मान्यता देने की बात हुई थी.

इसके अलावा उप प्राचार्य पद पर नियुक्ति होने पर वेतन वृद्धि देने, छात्र संख्या के मापदंड, सेवानिवृत्ति उम्र 60 वर्ष करने आदि पर चर्चा हुई थी. सरकार के लिखित आश्वासन के बाद शिक्षकों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था. आंदोलन वापस लेने के १५ दिन बाद मान्य करने संबंधी आदेश जारी किया जाना था लेकिन डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी कोई निर्णय नहीं हुआ. यही वजह है कि शिक्षकों में तीव्र नाराजगी का माहौल है. महासंघ के समन्वयक प्रा. मुकुंद आंदलकर ने आरोप लगाया कि सरकार अपने वादे से मुकर रही है. महासंघ की ओर से जल्द ही बैठक लेकर आंदोलन को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी.