ठाकरे, मूलक का अध्यक्ष पद से इस्तीफा

  • कांग्रेस में ‘एक व्यक्ति एक पद’ का फामूर्ला लागू

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नागपुर. कांग्रेस में ‘एक व्यक्ति एक पद’ के नये फार्मूले पर अमल करते हुए शहराध्यक्ष विधायक विकास ठाकरे व जिलाध्यक्ष राजेंद्र मुलक ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसकी घोषणा शिर्डी में शुरू प्रदेश कांग्रेस के चिंतन शिविर में महाराष्ट्र के प्रभारी एच. के. पाटिल व प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने की. दोनों नेताओं के इस्तीफे की वजह से सिटी सहित जिले में कार्यकर्ताओं में खलबली मच गई है.

8 वर्ष से ठाकरे थे अध्यक्ष

विकास ठाकरे  8 वर्षों से शहर अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. वहीं मूलक 2015 से जिलाध्यक्ष पद पर थे. वैसे दोनों नेताओं का कार्यकाल पूर्ण हो गया था. दोनों नेताओं के इस्तीफे के साथ ही समूची कार्यकारिणी भी बर्खास्त हो गई. नगर सेवक से महापौर और फिर विधायक पद तक पहुंचे ठाकरे की अगुवाई में कांग्रेस ने कई बड़े मोर्चों को अंजाम दिया था. कयास लगाया जा रहा था कि आगामी मनपा चुनाव ठाकरे के नेतृत्व में ही लड़ा जाना था. लेकिन चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा दिये जाने से अब किसके कंधों पर नेतृत्व की जिम्मेदारी होगी, इसको लेकर उत्सुकता बनी हुई है. कांग्रेस में शहर अध्यक्ष पद के अनेक दावेदार है, लेकिन सही परीक्षा मनपा चुनाव में ही होगी. साथ ही पुराने कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का मान-सम्मान रखकर उन्हें भी अवसर देने की जिम्मेदारी निभानी होगी.

लोकतांत्रिक पद्धति से नये चुनाव

कांग्रेस में अंतर्गत ब्लॉक चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. इस चुनाव से मुख्य कार्यकारिणी सदस्य सहित प्रदेश कार्यकारिणी व एआयसीसी पर प्रतिनिधि की नियुक्ति होगी. 10 जून तक चुनाव प्रक्रिया पूर्ण करना है. नये अध्यक्ष का चयन लोकतांत्रिक पद्धति से किये जाने

का दावा पदाधिकारियों ने किया है. इस वजह से स्थानीय नेताओं के मत को प्राथमिकता दिये जाने की संभावना है. माना जा रहा है कि मनपा चुनाव तक दोनों अध्यक्ष को प्रभारी के रूप में रखा जा सकता है.

वंजारी, गुडधे, पांडव, जग्यासी दौड़ में

नये शहर अध्यक्ष के नाम पर कयास लगाना भी शुरु हो गया है. पूरा दिन शहर में चर्चा रही कि ठाकरे की जगह पार्टी किसे यह पद दे सकती है. विधायक अभिजीत वंजारी के साथ-साथ पूर्व पार्षद प्रफुल गडधे पाटिल, सुरेश जग्यासी व गिरीश पांडव का नाम भी दौड़ में बताया जा रहा है. कहा यह भी जा रहा है कि मंत्री नितिन राऊत और विकास ठाकरे की सहमति से ही नाम को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसमे गुड़धे के नाम पर आम सहमति बन सकती है. वैसे वंजारी भी किसी गुट विशेष से संबंधित नहीं है. उधर ग्रामीण में पशु संवर्धन मंत्री सुनील केदार की ओर से सुरेश भोयर को जिम्मेदारी दी जा सकती है.

ओबीसी पर लगेगा दांव

पार्टी सूत्रों ने बताया कि दोनों पदों पर ओबीसी समुदाय को ही प्रतिनिधित्व देने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. वैसे पार्टी आलाकमान की ओर से नाम पर मुहर लगेगी. साथ ही ऐसे चेहरे का चयन किया जाए जो मनपा चुनाव में पार्टी का 15 साल पुराना वनवास को खत्म करने में सक्षम हो.