भाजपा का मनपा में ठिया आंदोलन, 20 दिनों का अल्टीमेटम, फिर कड़े संघर्ष की चेतावनी

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नागपुर. मनपा में सत्तापक्ष से हटने को अभी एक वर्ष ही बीत पाया कि भाजपा के तमाम पूर्व पार्षदों को अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली का अनुभव होने लगा है. इसका जीता जागता उदाहरण है कि कई बार सूचना देने के बाद भी समस्याएं हल नहीं होने के चलते सोमवार को भाजपा के पूर्व पार्षदों को पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी के नेतृत्व में मुख्यालय में ठिया आंदोलन करना पड़ा. दोपहर को एक घंटा ठिया आंदोलन करने बाद शिष्टमंडल की ओर से आयुक्त चौधरी को ज्ञापन सौंपा गया. जिसमें तमाम समस्याएं उजागर कर 20 दिनों के भीतर इन्हें हल करने की मांग की गई. मांग पूरी नहीं होने पर कड़ा संघर्ष करने की चेतावनी भी पूर्व पार्षदों ने दी. चर्चा के दौरान पूर्व पार्षदों का मानना था कि डेढ़ वर्ष से पार्षद का पद रद्द होने के बाद प्रभाग में समस्याएं बढ़ने लगी हैं. ज्ञापन देने के बाद भी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है.

डेंगू का बढ़ रहा प्रकोप

आयुक्त को बताया गया कि सिटी की कई मलजल वाहिनियां क्षतिग्रस्त हो चूकी है. जिससे गंदगी फैलते जा रही है. इसी तरह से कई प्रभागों में डेंगू का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. जनता का स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है. प्रशासन से नई मलजल वाहिनी डालने की मांग की गई थी. साथ ही कुछ वाहिनियों को दुरुस्त करने तथा चेंबर पर ढक्कन लगाने की मांग भी की गई. किंतु अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. बगीचा विभाग की कार्यप्रणाली का कड़ा विरोध करते हुए बताया गया कि पेड़ों की टहनियां छांटने के लिए कई बार अनुरोध किया गया. किंतु उद्यान अधीक्षक इसे नजरअंदाज करते आ रहे हैं. ऐसे में आंधी या तेज बारिश के समय कई तरह की परेशानियां होती हैं.

225 कर्मचारी, फिर भी सफाई नदारद

उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रभाग में 200 से 225 सफाई कर्मचारी हैं. इसके बाद भी प्रभाग में स्वच्छता की दुरावस्था है. आलम यह है कि प्रभाग में नियुक्त कर्मचारियों की तुलना में हर दिन केवल आधे सफाई कर्मचारी ही तैनात रहते हैं. जबकि आधे सफाई कर्मचारी घर पर बैठकर वेतन ले रहे हैं. इसके अलावा हाजिरी लगाने के मामले में भी धांधली होने की संभावना पूर्व पार्षदों ने जताई. सिटी की स्ट्रीट लाइट को लेकर उन्होंने कहा कि मनपा का बिजली विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय है. स्ट्रीट लाइटें बंद हैं. रखरखाव उचित नहीं है. इसके बाद भी रखरखाव करनेवाले ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.