भंडारा. राज्य में बेमौसम बारिश ने कहर बरपा रखा है जिससे किसान परेशान है, ऐसे में सरकार किसानों को बचाने के बजाय दर्शन के लिए अयोध्या चली गई है. भगवान श्री राम के दर्शन करना गलत नहीं है, लेकिन श्री राम के नाम पर लोगों में दूरियाँ बढ़ाना, धर्म के नाम पर जहर बोने का काम शासकों द्वारा किया जा रहा है ऐसे आरोप कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री विजय वडेट्टीवार ने पत्रकार वार्ता में लगाए. महाविकास आघाडी के सभी घटक दलों द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए रविवार 16 अप्रैल को नागपुर में वज्रमुठ सभा के आयोजन की जानकारी दी.
इस अवसर पर पूर्व मंत्री वडेट्टीवार ने कहा की वज्रमूठ सभा राज्य भर के 16 शहरों में आयोजित की जाएगी. छत्रपती संभाजीनगर में पहली सभा में लोग उत्साह से सम्मिलित हुए. अगली सभा नागपुर में हो रही है जिसके लिए महाविकास अघाड़ी ने एक समन्वयक नियुक्त किया है. उन्होंने कहा कि वह इसी मकसद से भंडारा और गोंदिया जिले में आए थे. इस अवसर पर विधायक अभिजीत वंजारी, पूर्व सांसद मधुकर कुकड़े, राकांपा जिलाध्यक्ष नाना पंचबुद्धे, धनंजय दलाल, जिप सभापति रमेश पारधी, जिप सभापति मदन रामटेके, कांग्रेस जिलाध्यक्ष मोहन पंचभाई, महिला कॉंग्रेस जिलाध्यक्ष जयश्री बोरकर, प्रेमसागर गणवीर, प्रशांत देशकर, शिवसेना के नरेश डहारे मौजूद रहे.
राज्य में ईडी की सरकार
वडेट्टीवार ने कहा कि राज्य में ईडी की सरकार है. ईडी के डर के कारण ही यह सरकार आई है और सुप्रीम कोर्ट के रहमोकरम पर टीकी है. सत्ता पक्ष कोर्ट के फैसले से डरता है, इसलिए यह निष्क्रिय सरकार रोज नई-नई घोषणाएं करती है, लेकिन उन पर अमल नहीं करती. महाविकास अघाड़ी ने आरोप लगाया है कि 2022 के बजट में किसानों के लिए घोषित सहायता राशि अभी तक प्रदान नहीं की गई है.
ओबीसी का आरक्षण खत्म
सत्ता में आने के टीन महीनों के भीतर ओबीसी को आरक्षण देने बात कहने वाले अब सत्ता में आए अब 9 महीने हो गए हैं. यह सरकार चुनाव, शिक्षा और रोजगार ओबीसी के लिए खत्म करने का काम कर रही है. महाविकास अघाड़ी सरकार में ओबीसी को 3180 करोड़ और अनुसूचित जनजाति को 11 हजार करोड़ दिए गए हैं उसकी तुलना में इस सरकार ने ओबीसी पर फंड कम करके अनुसूचित जाति और बहुजनों के कल्याण के लिए दिए जाने वाले फंड में से सिर्फ 1400 करोड़ का प्रावधान किया है. उन्होंने सवाल किया की ईंधन और बिजली की कीमतों में वृद्धि पर गला सूखने तक बात करने वाले अब महंगाई पर चुप क्यों हैं.