- 828 शिक्षकों के पद रिक्त
- 345 पद भरने की जानकारी उजागर
नागपुर. खनिज कल्याण क्षेत्र की 5 करोड़ निधि खर्च करने के लिए तकनीकी मान्यता प्राप्त करने जिलाधिकारी की ओर से प्रस्ताव भेजा गया. इस प्रस्ताव पर लिए गए फैसले की जानकारी प्रेषित करने के आदेश हाई कोर्ट ने शिक्षा आयुक्त, पुणे को दिए. नागपुर जिला परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के सैकड़ों पद रिक्त थे. इन पदों पर सेवानिवृत्त शिक्षकों के बदले ग्रामीण क्षेत्र के सुशिक्षित बेरोजगार युवाओं को शिक्षण सेवक के रूप में नियुक्त किया जाए. उनके मानधन के लिए प्रधानमंत्री खनिज कल्याण क्षेत्र निधि का उपयोग करने के आदेश जिलाधिकारी को देने की मांग करते हुए राष्ट्रीय पंजायत राज ग्राम प्रधान सरपंच संगठन की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. आदेश के अनुसार राज्य सरकार की ओर से हलफनामा तो दायर किया गया किंतु हाई कोर्ट ने इसके तथ्यों पर नाराजगी जताते हुए शिक्षकों के पद भरने के संदर्भ में खुलासा कर हलफनामा दायर करने के आदेश दिए.
पद स्वीकृत तो रिक्त क्यों
सरकार की ओर से दायर हलफनामा में पदों को भरने के लिए शुरू की गई प्रक्रिया की जानकारी दी गई. साथ ही कोर्ट के समक्ष चार्ट भी प्रस्तुत किया गया. चार्ट के अनुसार पदों को भरने के लिए 501 पदों का विज्ञापन दिया गया जिसमें योग्यता के अनुसार 345 पदों को भरने का निर्णय लिया गया. इस संदर्भ में अदालत ने कहा कि स्पष्ट रूप से 150 से अधिक शिक्षकों के पद फिर भी खाली रह जाएंगे. एक ओर जहां याचिकाकर्ता 828 पद रिक्त होने का दावा कर रहा है वहीं सरकार 717 पद बता रही है. एक यह भी है कि सभी पद स्वीकृत हैं. ऐसे में मौजूदा पद रिक्त रखने का कोई तुक नहीं दिखाई देता है. यहां तक कि सभी पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी क्यों नहीं किया जा रहा है, यह समझ से परे है. एक ओर शिक्षा का अधिकार लागू करने के लिए सरकार बाध्य है, जिसके लिए जिला परिषद द्वारा संचालित स्कूलों में बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसी स्थिति पैदा करते हैं जहां महीनों तक शिक्षकों के पद रिक्त पड़े रहते हैं.
सरकार की ईमानदारी पर सवाल
हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि सरकार की पूरी प्रक्रिया जिला परिषद स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में राज्य की ईमानदारी पर स्पष्ट रूप से प्रतिकूल प्रभाव डालती है. ऐसे में राज्य सरकार को इसका खुलासा करना चाहिए. अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकारी पक्ष की दलील है कि 100 प्रतिशत रिक्त पदों का विज्ञापन नहीं किया जा सकता है. 21 जून, 2023 के अनुसार केवल 70 प्रतिशत पदों को भरने का विज्ञापन जारी किया गया था. 10 दिसंबर, 2023 को इसे बढ़ाकर 80 प्रतिशत कर दिया गया. इस संदर्भ में अदालत ने कहा कि सरकारी दलील के मद्देनजर दुर्भाग्य से अभी भी एक स्थिति स्पष्ट है कि स्वीकृत पदों में से 20 प्रतिशत पद रिक्त रहेंगे.