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    • SECR जोन में 4,58,856 खराब स्लीपर,  104 करोड़ रुपये की लागत
    • नागपुर मंडल में 18,126 खराब स्लीपर, 7.35 करोड़ रुपये की लागत
    • SECR नागपुर : 18,126 स्लीपर निकले खराब
    • मंडल को 7.35 करोड़ का नुकसान, पूरे जोन में रेलवे को भारी नुकसान 

    नागपुर. दक्षिण-पूर्व-मध्य रेल के लेखा विभाग ने जोन के तहत नागपुर समेत तीनों रेल मंडलों में ट्रैक पर लगाये गये स्लीपरों को लेकर हैरान करने वाली रिपार्ट दी. इसमें खुलासा हुआ कि वर्ष 2005 से 2010 तक उपयोग किये स्लीपरों में से 18,126 स्लीपर खराब निकले हैं. इससे मंडल को 7.35 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है. यह ऑडिट रिपोर्ट डिप्टी डायरेक्टर अजहर जमाल ने पेश की है. रिपोर्ट की मानें तो पूरे एसईसीआर जोन में अब भी 4.48 लाख स्लीपर खराब है. इसकी कीमत करीब 104 करोड़, 29 लाख रुपये आंकी गई है. इसे रायसीमा कंक्रीट स्लीपर प्लांट, करगी रोड और ओडिशा कंक्रीट एंड एलाइड इंडस्ट्रीज द्वारा सप्लाई किया था. 

    87.6 किमी ट्रैक रहा खतरे

    रिपार्ट में बताया कि उक्त स्लीपर ओडिशा कंक्रीट एंड एलाइड इंडस्ट्रीज भानपुर एंड खापा द्वारा सप्लाई किए गए थे. नागपुर मंडल के तहत गोंदिया से बालाघाट तक 40.8 किमी और बालाघाट से कंटगी तक 46.8 किमी के ट्रैक पर खराब स्लीपर लगाये गए थे. इनकी गुणवत्ता रेलवे के मानकों में सटीक नहीं बैठती थी. 6 सितंबर 2005 और 23 फरवरी 2010 को रेलवे ट्रैक पर ये स्लीपर लगे थे. जांच में पता चला कि दोनों ट्रैक पर 18,126 स्लीपर खराब पाये गये. इनमें से 15,400 स्लीपर निर्माण कम्पनी को वापस किए गए. इससे मंडल को 7.35 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. 

    98,613 स्लीपरों का हुआ था करार

    पता चला है कि एसईसीआर और कम्पनी के बीच 98,613 स्लीपरों की सप्लाई का करार हुआ था. डिलीवरी के बाद जांच में जानकारी सामने आई कि इनमें से 58,350 स्लीपर ट्रैक पर लगा दिए गए थे जबकि 23,645 पटरियों के दोनों तरफ रखे हुए थे. रेलवे ट्रैक पर लगे 16,861 स्लीपर खराब या क्षतिग्रस्त पाए गए. नागपुर मंडल के अलावा बिलासुपर मंडल में 1987 से 2006 के बीच 3,52,066 स्लीपर पाए गए जिनकी कीमत करोड़ों में आंकी गई. कहा जा रहा है कि वरिष्ठ रेल अधिकारियों को इस गड़बड़ी की जानकारी थी. ऐसे में कम्पनी को ब्लैक लिस्ट करने के बजाय उसे और भी ऑर्डर दे दिए गए. इसी प्रकार रायपुर मंडल में 1996 से 2009 के बीच 74,529 स्लीपर खराब पाए गए. 

    खराब के पैसे नहीं लौटाये, नये का दे दिया ऑर्डर

    ऑडिट रिपोर्ट ने तत्कालीन रेल अधिकारियों की बहुत सी पोल खोली. पता चला कि कम्पनी को हजारों की संख्या में खराब स्लीपर लौटा दिए गए थे. ऐसे में कम्पनी ने रेलवे को इसके नुकसान की रकम रिफंड करनी थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया. रेलवे बोर्ड ने निर्देश दिये थे कि कम्पनी को खराब स्लीपर वापस कर दिए जाए लेकिन ऐसा करने के बजाए अधिकारियों ने और 1,40,750 नये स्लीपरों का कॉन्ट्रैक्ट कम्पनी को दे दिया. इनमें वर्ष 2013 में सप्लाई किए स्लीपरों में से 65,442 खराब मिले. इसके अलावा जोन के अलग-अलग सेक्शनों में 4,48,856 स्लीपर खराब निकले. दबाव बढ़ता देख अक्टूबर 2014 में कम्पनी से करार रद्द कर दिया गया. जबकि कम्पनी को 10.66 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया गया था. 

    40 वर्ष होनी चाहिए उम्र

    जानकारों की मानें तो ट्रैक पर उपयोग किए जाने वाले स्लीपर 40 वर्ष तक उपयोग करने के लायक होने चाहिए. हैरानी की बात रही कि खराब स्लीपरों को न केवल जमीनी ट्रैक, बल्कि ब्रिज के ऊपर से गुजरने वाले ट्रैक में भी लगाया गया था. ऐसे में खराब स्लीपरों के कारण कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती थी और पूरी ट्रेन ही नीचे गिर सकती थी. साफ है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस बीच हजारों यात्रियों की जान दांव पर लगी रही. खास बात है कि ऑडिट रिपोर्ट में ब्रिज में खराब स्लीपर के उपयोग की बात को विशेष नोट के रूप में दर्ज किया गया. 

    ट्रैक:

    • गोंदिया-बालाघाट 40.8 किमी
    • बालाघाट-कटंगी 46.8 किमी