After 42 years of struggle, farmers got water for irrigation

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    येवला : डोंगरगांव का सिंचन तालाब कभी लबालब हुआ ही नहीं। जब कभी थोड़ा बहुत जलभंडारण हुआ तब भी कभी पानी का वितरण हुआ नहीं, लेकिन पिंपलखुटे बुद्रुक और परिसर के किसानों के संघर्ष के कारण आखिरकार 40 वर्षो के बाद इस वितरिका को पानी मिला है। इसका करिब सौ एकड़ फसल (Crop) को फायदा होगा।

    1970 के आसपास डोंगरगांव परिसर के गांव की खेती सिंचाई, पशुओं के पानी की समस्या समाप्त करने के लिए यह लघु बांध मंजूर करते हुए रोजगार गारंटी योजना (Employment Guarantee Scheme) अंतर्गत 1972 तक इस लघु बांध का काम पूर्ण किया गया था। इसके बाद उसे वितरिका बनाई गई। इस वितरिका को वर्ष 1976, 1980 और 1983 को पानी छोड़ने की बात कहीं जाती है, लेकिन अब तक पानी छोड़ा नहीं जाता था। 10 वर्षो से डोंगरगांव के तालाब में जल भंडारण हो रहा है, लेकिन डोंगरगांव तालाब से पिंपलखुटे बुद्रुक और तलवाडे परिसर के लिए जाने वाली वितरिका बंद हो गई थी।

    इस संदर्भ में पिंपलकुटे के किसानों ने अनशन करने के बाद पालकमंत्री छगन भुजबल की सूचना के अनुसार सिंचाई विभाग की ओर से 5 किलोमीटर की यह वितरिका खोदकर बनाई गई। इसलिए इस वर्ष बांध पानी से लबालब होने के कारण पानी छोड़ने की मांग किसान कर रहे थे। डोंगरगाव बांध से पानी नहीं छोड़ने, यह पानी पीने के लिए आरक्षित करने किसानों ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई, लेकिन पिंपलखुटे बुद्रुक के किसानों ने आपना पक्ष रखते हुए इस बांध में पानी योजना नहीं होने की बात कहीं। इसके बाद न्यायालय ने पानी छोड़ने के आदेश दिए थे। इसके अनुसार सिंचन विभाग के कर्मियों ने नहर को पानी छोड़ा।

    लाभक्षेत्र के पिंपलखुटे, भुलेगाव, देवठाण, तलवाडे, डोंगरगांव इस गांव के किसानों ने करीब 42 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद पानी का लाभ मिला। इसके बाद गांव के किसानों ने आनंद उत्सव मनाया। यह पानी 7 दिनों तक बहता रहेगा, जिसका 80 से 100 एकड़ की फसल को फायदा होने की जानकारी डॉ. सतीश कुर्हे ने दी। इस समय साहबराव उंडे, अनिल उंडे, चंद्रकांत आढाव, अण्णा कुर्हे, रखमा पवार, अण्णा पवार, जगन पवार, गोरख अरखडे, संदीप उंडे, हरिभाऊ उंडे, कचरू डुंबरे, बालू रोठे, दीपक उंडे सहित सिंचन विभाग के कर्मी और पुलिस कर्मी उपस्थित थे।