Chikungunya

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    नाशिक : राज्य (State) के भारी वर्षा वाले जिलों में शुमार नाशिक जिले में इस वर्ष भारी वर्षा हुई। इस वर्षा कारण नाशिक के शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रो में जल जमाव हुआ। वर्षा के कारण में जहां-जहां जल जमाव (Water Logging) हुआ वहां तो पानी धीरे-धीरे पानी कम हो रहा है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या संक्रामक रोगों (Infectious Diseases) से निपटने की है। बरसात के मौसम में दूषित पानी के कारण डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, सर्दी बुखार, गैस्ट्रो और हैजा जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि होती है। इसलिए इनकी रोकथाम के लिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। 

    बीमारियों से निपटने के लिए महानगरपालिका प्रशासन ने कसी कमर 

    डेंगू तब शुरू होता है जब रुक-रुक कर बारिश शुरू होती है और जनवरी-फरवरी तक बनी रहती है। हालांकि अभी मानसूनी वर्षा दो महीने तक रहेगी। अगर वर्षा रुक-रुक हुई संक्रामक बीमारियों का खतरा ज्यादा बढ़ेगा। साफ-सफाई न होने के कारण फैलने वाली बीमारियां और संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए महानगरपालिका प्रशासन ने कमर कसी है। जैसे कि हर बरसात से पहले नाशिक महानगरपालिका प्रशासन की ओर से लोगों को यह भरोसा दिलाया जाता है, कि मानसूनी वर्षा के कारण आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए महानगरपालिका प्रशासन तैयार है, लेकिन एक ही बरसात में महानगरपालिका प्रशासन के सभी आश्वासन ढेर हो जाते हैं, कुछ ऐसी ही स्थिति संक्रामक बीमारियों से निपटने के मामले में भी देखने को मिलती है।      

    वायरल पीलिया के मामले लगातार बढ़ रहे

    टाइफाइड में हर चार से छह घंटे में बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को पेट में दर्द और दस्त भी हो जाते हैं। यह रोग एक सप्ताह से अधिक समय तक रहता है। शहर में वायरल पीलिया के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। वायरल पीलिया के लक्षणों में पेट में दर्द और दस्त, लीवर में दर्द, आंखों का पीला पड़ना, भूख न लगना, गहरा पीला पेशाब होना आदि शामिल हैं गैस्ट्रो, हैजा और लेप्टोस्पायरोसिस के मरीजों में भी वृद्धि हो रही है, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग पर तनाव बढ़ गया है, इसके लिए प्रभावी जागरूकता की जरूरत है। 

    गांव की सत्ता सरपंच के हाथ में 

    जिला परिषद की मुख्य कार्यपालन अधिकारी लीना बनसोड़ ने ग्रामीण क्षेत्रों में जल जनित बीमारियों पर अंकुश लगाने के लिए सीधे सरपंचों को जवाबदेह ठहराने की नीति अपनाई है। यह अच्छी तरह से किया गया है, क्योंकि गांव की सत्ता अंतत: सरपंच के हाथ में होती है। यह न केवल सौन्दर्य की स्थिति है, बल्कि उत्तरदायित्व भी है, जिसके फलस्वरूप ग्राम सेवक और सरपंच दोनों को लगातार सतर्क रहना पड़ता है। मुख्यालय से निकलते समय ग्राम सेवकों को सोचना पड़ता है। 

    मौजूदा दौर में भारी बारिश के कारण कई जगहों पर फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। इसलिए भारी बारिश से फसलों का तत्काल पंचनामा क्षतिग्रस्त हो गया। साथ ही कई जगहों पर आपदा से घरों को भी नुकसान पहुंचा है। ऐसे स्थानों पर आवासीय मकान बनाकर नागरिकों को आवास उपलब्ध कराना। साथ ही भोजन पहुंचाने की व्यवस्था करनी भी जरूरी है ताकि कोई भूखा न रहे। सरकारी व्यवस्था के साथ-साथ जहां भी आवश्यक हो ग्रामीणों और विभिन्न सामाजिक संगठनों की मदद लेनी होगी। 

    इसलिए सरकारी तंत्र को भी आने वाले समय में चार्ज करना पड़ता है। वेतनभोगी कर्मचारी, जो मुख्यालय में नहीं रहते हैं, उन्हें ढूंढकर नियोजित करना होगा।  स्वास्थ्य विभाग की दृष्टि से आने वाला समय परीक्षा का है। इस बार नाशिक महानगरपालिका, नगरपालिका,  जिला परिषद, जिला अस्पताल के कार्य और दक्षता की परीक्षा होगी।