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    मालेगांव : नाशिक जिले (Nashik District) में 28 अक्टूबर से 11 नवंबर तक दीपावली पर्व (Diwali Festival) मनाया जा रहा है। दीपावली पर्व के कुछ दिन पहले और बाद में भी कुछ दिन नागरिक बड़ी मात्रा में पटाखों (Crackers) का उपयोग करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के 2 नवंबर 2001 के निर्णय के अनुसार दिवाली और अन्य पर्वों के दिनों में भारी आवाज के पटाखे फोड़ने से होने वाली ध्वनि और हवा प्रदूषण (Noise and Air Pollution) का लोगों पर होने वाले हानिकारक परिणाम को रोकने के लिए ऐसे पटाखे फोड़ने पर मुंबई पुलिस एक्ट 1951 की कलम 33(1) के तहत बंदी लगाने की सूचना मालेगांव महानगरपालिका के कमिश्नर भालचंद्र गोसावी ने दी है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत, पर्यावरण (संरक्षण) नियम और संशोधित नियम 89 जो पटाखों की ध्वनि की गुणवत्ता से संबंधित हैं। उन्होंने इसे सख्ती से लागू करने का भी आदेश दिया है। जिला कलेक्टर सूरज मांढरे ने भी ऐसी घटनाओं को रोकने और यातायात को नियंत्रित करने के लिए एक निरोधक आदेश जारी किया है। 

    महानगरपालिका कमिश्नर गोसावी ने प्रभावी क्रियान्वयन की अपील की है। मुंबई पुलिस एक्ट 1951 और कलम 33 (1) के तहत जिले के ग्रामीण इलाकों (पुलिस आयुक्त नाशिक शहर की हद को छोड़कर) के लिए आदेश दिए गए हैं। कोविड-19 के प्रभाव को रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक उपाय के रुप में सरकार की ओर से समय-समय पर लागू किए गए आदेश और फौजदारी प्रक्रिया कानून, 1973 की कलम 144 के आदेश सभी संबंधित लोगों पर लागू होंगे। जिन नगरपालिका, नगरपरिषद हद में पटाखों की बंदी को ले कर प्रस्ताव पारित किए गए हैं उन जगहों पर पटाखे बंदी को लेकर प्रस्ताव के अनुसार उचित कार्रवाई की जाए। पटाखे फोड़ने की जगह से 4 मीटर अंतर तक 125 डेसीबल आवाज पैदा करने वाले पटाखों का उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर बंदी लगाई गई है। 

    स्टालों को लिए यह है नियम

    रात 10 से दूसरे दिन सुबह 6 बजे तक किसी भी प्रकार के आवाज करने वाले पटाखे फोड़ने पर 4 नवंबर को दी गई छूट को छोड़कर बंदी है। पटाखों की दुकानें जमीन पर लगाई जाए। हर स्टॉल में 50 किलो तक ही पटाखों का डिस्प्ले लगाया जाए। किसी भी सुरक्षित घोषित की गई सीमा से 50 मीटर से कम अंतर पर स्टॉल की जगह न हो। एक से अधिक स्टॉल होने पर उन के प्रवेश द्वार आमने-सामने न हों। एक जगह 100 से अधिक स्टॉल न हों। एक से अधिक समूह होने पर दूसरे हर समूह के बीच का अंतर 50 मीटर से कम ना हो। स्टॉल की जगह पर तेल का दीया, मोमबत्ती न रखें। बिजली का प्रवाह करने वाली वायरिंग योग्य तरीके से की जाए, इस पर विशेष ध्यान दिया जाए। पटाखों की दुकानों का आपातकालीन मार्ग खुला ही रखा जाए। उनमें अड़चन न आने पाए। साथ ही स्टॉल की जगह पर धूम्रपान करने की सख्ती मनाई है। पटाखों को संभालने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए और दुकान में ग्राहकों की भीड़ नहीं होनी चाहिए और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय किए जाएं। 

    शांति क्षेत्र में न करें पटाखों का प्रयोग

    पटाखों को खराब स्थिति में न बेचने का ध्यान रखा जाए। 3.8 सेमी से अधिक लंबे और एटम बम के रूप में ज्ञात और क्लोरेट युक्त पटाखों की बिक्री नहीं की जाएगी। 3 इंच से अधिक लंबे और आधे इंच से अधिक व्यास वाले पेपर ट्यूब से मिश्रित गनपाउडर और नाइट्राइड बिना क्लोरेट के नहीं बेचे जाएंगे। पीले फास्फोरस वाले अत्यधिक जहरीले पटाखे, जिन्हें पटाखे या मल्टीमिक्स, चिलपाल, चिड़चिडिया, बटरफ्लाई के रूप में जाना जाता है, की बिक्री नहीं की जाएगी।  पटाखा विक्रेताओं और श्रमिकों को पटाखों की खतरनाक प्रकृति और सुरक्षा के संदर्भ में उन्हें कैसे संभालना है, इस पर प्रशिक्षित किया जाए। शांति क्षेत्र में किसी भी प्रकार के पटाखों का प्रयोग न करें। शांति क्षेत्र जैसे, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, अदालतों आदि के आस-पास 100 मीटर तक के क्षेत्र को कवर करता है।

    125 डेसीबल से अधिक न हो आवाज

    पटाखों की माला 10 हजार से ज्यादा पटाखों की नहीं होनी चाहिए। यह प्रतिबंधित है। मुंबई पुलिस अधिनियम, 1951 की धारा 33 (1) (एच) के तहत नियमों और आदेशों का उल्लंघन करने पर 8 दिनों से अधिक की अवधि के लिए कारावास या 1,250/- रुपए से अधिक का जुर्माना दोनों ही दंड होगा। नागरिकों और पटाखा डीलरों और खुदरा लाइसेंसधारियों को भी नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। नागरिकों को चाहिए कि वे भीड़-भाड़ वाली जगहों पर नहीं बल्कि खुले स्थानों पर पटाखे फोड़ें, जहां कोई आवाजाही न हो। पटाखों की आवाज 125 डेसीबल से ज्यादा ना हो।