Bike boat scam: Raids in several districts including Meerut, 178 motorcycles of the company recovered
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    नासिक : जिला परिषद (District Council) के उप कर कोष से सामान्य प्रशासन विभाग (General Administration Department) की ओर से कम्प्यूटर खरीदी में 12 लाख रुपए का नुकसान होने की बात सामने आई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने 92 लाख रुपए के कम्प्यूटर (Computer), यूपीएस (UPS) और प्रिंटर (Printer) खरीदे। कम्प्यूटर 67,000 रुपए प्रति कम्प्यूटर की लागत से खरीदा गया। जो इस वर्ष की शुरुआत में लेखा और वित्त विभाग द्वारा खरीदे गए कम्प्यूटरों से 12 लाख रुपए अधिक है। उद्योग और ऊर्जा विभाग के सरकारी निर्णय का उल्लंघन करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रत्येक कम्प्यूटर के लिए 12 लाख रुपए अधिक क्यों दिए? ऐसा सवाल उठाया जा रहा है। 

    ZPFMS, PMS, साथ ही फाइल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे सिस्टम जिला परिषद में पेश किए गए हैं, इसके चलते सभी कर्मचारियों के पास कम्प्यूटर होना चाहिए और वे अप टू डेट हों, इसके लिए जिला परिषद प्रशासन ने बजट आम बैठक में कम्प्यूटर खरीदने के लिए 99 लाख का प्रावधान किया था और आम बैठक में इसे मंजूरी दी थी। सितंबर महीने तक इस इसकी खरीदी के लिए प्रशासनिक स्वीकृति, तकनीकी स्वीकृति की प्रक्रिया पूर्ण कर मुख्य कार्यपालन अधिकारी के स्थानांतरण अवधि में विभाग की ओर से उपार्जन प्रस्ताव जीईएम पोर्टल पर अपलोड किया गया, उसके बाद आई-3 कम्प्यूटर के 100 सेट, यूपीएस का एक सेट एवं प्रिंटर की आपूर्ति हेतु आपूर्तिकर्ता से निविदा आमंत्रित की गई, नौ संगठनों ने इसका जवाब आया। 

    22 फीसदी अधिक दर पर कम्प्यूटर खरीदे

    इनमें मिनिटेक सिस्टम्स 67,000 रुपए और यूपीएस-प्रिंटर 25,000 रुपए में 92,000 रुपए में कम्प्यूटर का एक सेट देने के लिए तैयार था। पिछले वित्त वर्ष (जनवरी 2022) में लेखा और वित्त विभाग ने एक कम्प्यूटर खरीदा था, उन्होंने यही सिस्टम 55-55 हजार रुपए में खरीदा। सामान्य प्रशासन विभाग के साथ-साथ कम्प्यूटरों ने एक-एक 67 हजार रुपए में खरीदा। उद्योग और ऊर्जा विभाग के 1 दिसंबर 2016 के शासनादेश के अनुसार स्पष्ट निर्देश है कि सरकारी कार्यालय में किसी भी खरीद पर पिछले वर्ष की खरीद के दस प्रतिशत से अधिक खर्च नहीं होना चाहिए। सरकार के इस फैसले में निर्देशों का उल्लंघन करते हुए संबंधित विभाग ने करीब 22 फीसदी अधिक दर पर कम्प्यूटर खरीदे। इसलिए आम जनता के टैक्स में 12 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है और ज्यादा रेट पर खरीदने पर जोर क्यों? ऐसी चर्चा अब जिला परिषद में हो रही है।