Nashik Municipal Corporation
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    नाशिक : नाशिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) के सामने 488 करोड़ रुपये के बिल बकाया हो गए हैं। बकाया की वसूली (Recovery) कैसे की जाए, इस पर प्रशासन (Administration) गंभीर सवाल का सामना कर रहा है। नाशिक महानगरपालिका चुनाव (Nashik Municipal Elections) फरवरी महीने में होंगे।

    इससे पहले अधिकारियों ने विभिन्न विकास कार्यों की घोषणाओं की धज्जियां उड़ा दीं। लेकिन दूसरी ओर, नागरिक पानी और आवास को लेकर अभय योजना की घोषणा करने के बाद भी संपत्ती और पानी कर नहीं भर रहे है। नतीजतन, पानी का बिल बकाया 122.83 करोड़ रुपये हो गया है। संपत्ती कर बढ़कर 365.40 करोड़ रुपये हो गया है। महानगरपालिका के सामने कुल 488.23 करोड़ रुपये का बकाया है। इसे देखते हुए महानगरपालिका ने अभय योजना शुरू की। इस के अनुसार बकाया पर ब्याज, नोटिस खर्च पर 90 प्रतिशत की छूट देने का फैसला किया। लेकिन इस पर भी नागरिक कर भरने में आनाकानी कर रहे हैं। अब योजना को दिसंबर के अंत तक बढ़ाने की योजना है। लेकिन अगले दो महीनों में चुनावों के चलते, यह संदेह है कि वसूली कितनी ईमानदार से होगी।

    सेवानिवृत्ति की प्रतीक्षा में कर्मचारी 

    लगभग 259 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले नाशिक महानगरपालिका में भी कर्मचारियों की कमी है। निगम के लिए केवल 98 कर्मचारियों को काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसके चलते पानी के बिल का वितरण ठप हो गया है। पहले दौर में 57 हजार 748 और दूसरे दौर में 17 हजार 648 बिलों का वितरण नहीं किया गया है। कई कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनमें से 3 कर्मचारी हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं। कई कर्मचारी अगले छह महीने में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इससे महानगरपालिका  का पूरा प्रशासनिक कार्य प्रभावित हुआ है। पिछले दो साल से लोगों को बिल नहीं मिले है। ऐसे में अधिकारियों के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि बिल वसूली का काम कैसे किया जाए।

    महानगरपालिका का मोबाईल एप  

    कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए महानगरपालिका ने पानी बिल वसूली के लिए एप बनाया है। जिन ग्राहकों को बिल नहीं मिला है, वे महानगरपालिका वाटर बिल रिकवरी एप के जरिए मीटर रीडिंग की फोटो अपलोड करेंगे। इसके बाद जल विभाग में पंजीकरण कराया जाएगा। ग्राहक द्वारा प्रदान किए गए व्हाट्सएप नंबर पर ग्राहक को बिल भेजा जाएगा क्योंकि एप पर ग्राहक नंबर, जियो टैगिंग की सुविधा है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि नागरिक इस सुविधा के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।