पोल्ट्री किसान कंपनियों की मनमानी के शिकार, मांगें पूरी नहीं होने पर दी आंदोलन की चेतावनी

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    नाशिक: प्रदेश में 9 लाख पोल्ट्री किसान (Poultry Farmer) पिछले कई वर्षों से निजी पोल्ट्री कंपनियों (Private Poultry Companies) की मनमानी के शिकार हैं। हजारों पोल्ट्री व्यापारी राज्य के पशुपालन विभाग से विभिन्न मांगों के लिए एक साथ आ रहे हैं। इसके तहत पशुपालन उपायुक्त, नाशिक डॉ. आरबी नरवड़े को पोल्ट्री व्यापारियों की विभिन्न समस्याओं और मांगों को लेकर ज्ञापन दिया गया। यह ज्ञापन (Memorandum) महाराष्ट्र राज्य पशुपालन डेयरी विकास, मत्स्य पालन और कुक्कुट कल्याण संघ के अध्यक्ष संदीप यादव, कोल्हापुर संभाजी ब्रिगेड के जिलाध्यक्ष रूपेश पाटिल और नाशिक पोल्ट्री एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रोहिदास गायकर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने दिया।

    डॉ. नरवडे ने ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि उनकी सभी मांगों का निराकरण किया जाएगा।  डॉ. नरवडे ने इस दौरान कहा कि पशुपालन व्यय में तत्काल वृद्धि के संबंध में जिले की संबंधित निजी कंपनियों को पत्र भेजा जाएगा। 

    पिछले 20 वर्षों से नहीं हुई मूल्य वृद्धि 

    पिछले 20 वर्षों में कोई मूल्य वृद्धि न होने के कारण राज्य में पोल्ट्री व्यवसाय संकट के दौर से गुजर रहा है। मांगें पूरी नहीं होने पर दो माह तक पोल्ट्री किसान अपने चूजों को नहीं छोड़ेंगे। साथ ही कोल्हापुर जिला संभाजी ब्रिगेड के जिलाध्यक्ष रुपेश पाटिल ने राज्य से पोल्ट्री व्यापारियों को लेकर पूरे प्रदेश में आंदोलन करने की चेतावनी दी। इस अवसर पर संदीप यादव, रुपेश पाटिल, नाशिक पोल्ट्री जिलाध्यक्ष रोहिदास गायकर, स्वप्निल पाटिल, इगतपुरी पोल्ट्री तहसील अध्यक्ष विक्रम पासलकर, प्रफुल्ल वाघ, विक्रम गैधानी आदि शामिल थे। 

    पश्चिमी महाराष्ट्र में हम सभी सरकारी और निजी पोल्ट्री कंपनियों के खिलाफ लड़ रहे हैं, जिसमें सभी पोल्ट्री ऑपरेटर और मालिक भी शामिल हैं। लिफ्टिंग चार्ज बढ़कर एक लाख रुपए हो गया है। इसे तत्काल नाशिक जिले में लागू किया जाना चाहिए और पक्षी पालन के लिए 12 रुपए प्रति किलो अनाज दिया जाए, यही हमारी मुख्य मांग है।

    -रूपेश पाटिल, जिलाध्यक्ष, कोल्हापुर संभाजी ब्रिगेड

    पश्चिमी महाराष्ट्र की तर्ज पर नाशिक जिले के पोल्ट्री व्यापारियों की मांगों पर सकारात्मक विचार किया जाएगा। नाशिक के जिला पदाधिकारियों को वेतन वृद्धि के संबंध में सरकारी पत्र सौंपा जाएगा। ऐसे आदेश संबंधित कंपनियों को जारी किए जाएंगे। पक्षियों को पालने का खर्च जल्द ही तय किया जाएगा।

    -डॉ. आर. बी नरवड़े, उपायुक्त पशुपालन