नागपुर. मध्य रेलवे द्वारा इटारसी की ओर तीसरी रेल लाइन निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई. इसके अंतर्गत आने वाले आवासों को हटाया जाना है. इस तरह से लगभग 700 परिवार बाधित होने का संभावना जताई जा रही है. रेल विभाग भले ही इन्हें अतिक्रमण करार दे रहा हो लेकिन आवास 60 वर्ष पुराने हैं तथा घोषित स्लम में हैं, इसलिए अब इनमें रह रहे लोग पहले पुनर्वास की मांग कर रहे हैं. इससे रेल विभाग और इन लोगों में लगातार संघर्ष जारी है.
बुधवार को पुनर्वास की मांग करते हुए स्थानीय लोगों ने पूर्व पार्षद वेदप्रकाश आर्य और कविता लांडगे के नेतृत्व में मनपा में दस्तक दी. सुबह-सुबह पहुंचे कई लोगों को देख प्रशासन हड़बड़ा गया. अधिकारियों द्वारा मिलने में देरी किए जाने से नाराज लोगों ने आयुक्त कक्ष के सामने ही धरना शुरू कर दिया जिससे काफी समय तक मनपा में हंगामे की स्थिति बनी रही.
पुनर्वास करें, हटने के लिए तैयार
पीड़ितों का मानना था कि तीसरी रेल लाइन निर्माण को लेकर उनका कोई विरोध नहीं है. लेकिन इस तरह से जबरन हटाए जाने का पुरजोर विरोध किया जाएगा. पुराना जरीपटका, महात्मा फुले झोपड़पट्टी के लगभग 150 लोगों ने मनपा द्वारा दिए गए फोटोपास आदि के दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं लेकिन रेल विभाग इसे मानने के लिए तैयार नहीं है. चूंकि मनपा ने इन स्लम को अधिकृत घोषित किया है. अत: उनका पुनर्वास करने की जिम्मेदारी मनपा पर है. नियमों के अनुसार भी प्रकल्प के लिए जमीन लेने से पहले पीड़ितों का पुनर्वास करना होता है. चर्चा के दौरान आयुक्त ने कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है.
पूर्व आयुक्त ने कैसे दी जमीन?
मनपा आयुक्त द्वारा उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर होने का हवाला दिए जाते ही आर्य ने कहा कि मनपा ने सिम्बायसिस को 1 रु. की लीज पर 100 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई है. पूर्व आयुक्त टी. चंद्रशेखर ने पुराना जरीपटका के सड़क चौड़ाईकरण से प्रभावित लोगों को 300 वर्ग फुट जमीन दी थी. रेल लाइन के पास भीमनगर में रहने वाले लोगों का पुनर्वास मनपा ने किस आधार पर किया. इस संदर्भ में मनपा आयुक्त ने चर्चा कर जवाब देने का आश्वासन दिया.
अब पीड़ितों ने पालक मंत्री नितिन राऊत और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर पुनर्वास की मांग करने की जानकारी दी. शिष्टमंडल में विनोद सोनकर, अभय ठाकुर, दिनेश गेडाम, राकेश श्रीवास, रजनी कुंडे, ममता श्रीवास, शांताराम तायर, रमेश वानखेडे, प्रकाश मानवटकर, विनोद ठवकर, शांताराम सोनबरसे, वंदना म्हैसेकर, प्रतिभा फुलझेले, बालकिशन चांदेकर, नानेश्वर चांदवे, श्रावण चांदेकर, गणेश चांदेकर आदि शामिल थे.