Nashik Municipal Corporation

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    सातपुर : हम सभी ने कई बार देखा है कि नासिक महानगरपालिका प्रशासन (Nashik Municipal Administration) के अजीबो-गरीब कारनामों (Strange Adventures) से आम आदमी परेशान रहता है, लेकिन पूर्व नगरसेवक खुद इस अजीबो-गरीब कामकाज का अनुभव कर रहा है और यह नासिक में चर्चा का विषय बन रहे हैं। नासिक महानगरपालिका द्वारा कोई भी संपत्ति (Property) न होने के बावजूद एक पूर्व नगरसेवक को लाखों रुपए के बिल का नोटिस जारी किया गया है। नासिक में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के पूर्व नगरसेवक भागवत आरोटे को जारी किया गया नोटिस विवाद में फंस गया है। 

    फिलहाल नासिक महानगरपालिका की ओर से टैक्स वसूली का अभियान चलाया जा रहा है और बकायेदारों को नोटिस जारी किया जा रहा है। इस बीच पूर्व नगरसेवक भागवत आरोटे को जारी नोटिस यह बताने के लिए काफी है कि नासिक में नासिक महानगरपालिका प्रशासन कैसे काम कर रहा है। पूर्व नगरसेवक भागवत आरोटे का नासिक शहर के अंबड गांव के चुंचाले इलाके में बंगला है। इस बंगले पर कोई मोबाइल टावर नहीं है। हालांकि इसके बावजूद नासिक महानगरपालिका के टैक्स वसूली विभाग ने उन्हें 13 लाख 25 हजार 808 रुपए की राशि का नोटिस जारी किया है। दिलचस्प बात यह है कि भुगतान न करने की स्थिति में सीधे संपत्ति जब्त करने की चेतावनी दी है। कुल मिलाकर नासिक महानगरपालिका द्वारा भेजी गई नोटिस का मजाक उड़ाया जा रहा है।

    नासिक में यह चर्चा का विषय बनता जा रहा है

    इस पूरे मामले से पूर्व नगरसेवक भागवत आरोटे सहित उनके परिवार को झटका लगा। आरोटे ने जब संबंधित विभाग के अधिकारियों से पूछा तो उनके पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी और आरोटे को संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद पूर्व नगरसेवक आरोटे ने सीधे कमिश्नर डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार से मिलकर विस्तृत जांच कर कार्रवाई करने की मांग की। नासिक में यह चर्चा का विषय बनता जा रहा है, क्योंकि ऐसी घटना किसी आम नागरिक के साथ नहीं बल्कि एक पूर्व नगरसेवक के साथ हुई है। दिलचस्प बात यह है कि जिस विभाग से यह नोटिस जारी किया गया है, वह इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा है। ऐसे में यह देखना जरूरी होगा कि वास्तव में यह किस प्रकार का कामकाज है।