Nashik Municipal Corporation
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    नासिक : घंटागाड़ी (Ghantagadi) संबंधी निविदा निकालने में हो रहे विलंब के पीछे का मुख्य कारण मंत्रालय (Mantralaya) की ओर से डाला जा रहा दबाव है। महानगरपालिका कमिश्नर (Municipal Commissioner) को अगर निविदा प्रक्रिया में कुछ त्रुटि लग रही हो तो उन्हें इस बारे में फिर से विचार करना चाहिए। निविदा में सुधार करके उसे जल्दी निकाल कर महानगरपालिका कमिश्नर कार्यारंभ का आदेश दें। महानगरपालिका कमिश्नर यह भी जानने की कोशिश करें कि आखिर विलंब क्यों हो रहा है। घंटागाड़ी  निविदा निकाले की प्रक्रिया में महानगरपालिका कमिश्नर की भूमिका क्या है, यही समझ में नहीं आ रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या महानगरपालिका का आर्थिक हित साधने या फिर स्वयं का हित साधने के लिए निविदा निकालने में तेजी की जा रही है। 

    लोगों का कहना है कि नासिक महानगरपालिका कमिश्नर बहुत स्वच्छ छवि के अधिकारी हैं, ऐसे में वे घंटागाड़ी संबधी निविदा निकालने की प्रक्रिया कहां तक पहुंची है, उसके बारे में वे खुलासा करें, इस आशय का ज्ञापन शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे के महानगर अध्यक्ष सुधाकर बडगुजर ने महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार को दिया है। नासिक महानगरपालिका कमिश्नर को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि शहर की महत्वपूर्ण घंटागाड़ी योजना की 15 वर्ष की निविदा कालावधि 4 दिसंबर, 2021 को समाप्त हो चुकी है। इससे 6 महीने पहले निविदा प्रक्रिया पूर्ण होकर कार्यारंभ आदेश चाहिए था। 

    दो-तीन दिनों के बाद घंटागाड़ी प्रभाग में जाती रहती है

    प्रशासकीय मान्यता महासभा में समय पर दिए जाने के बावजूद विशेष मुद्दत में निविदा प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सका और लगभग एक वर्ष लगातार ठेकेदारों को समय बढ़ाकर दिया जा रहा है। दो-तीन दिनों के बाद घंटागाड़ी प्रभाग में जाती रहती है, इस वजह से हर प्रभाग में दुर्गंध फैली हुई है। स्थायी समिति ने 28 फरवरी को करार करने के लिए मंजूरी दी थी, फिर भी संपूर्ण निविदा प्रक्रिया मार्च 2022 तक जारी करके कार्यारंभ का आदेश देना जरूरी होने के बाद भी कार्य आरंभ करने का आदेश महानगरपालिका कमिश्नर की ओर से क्यों नहीं दिया गया। महानगरपालिका कमिश्नर ने ऑडिट के लिए फाइल के बारे में महानगरपालिका के ठोस कचरा विभाग के माध्यम से चर्चा की। नासिक महानगरपालिका में किसी भी निविदा को अंतिम रूप देने से पहले उसे स्थायी समिति के समक्ष रखने से पहले ऑडिट किया जाता है। 

    महानगरपालिका कमिश्नर की भूमिका संदिग्ध बतायी जा रही है

    हालांकि महानगरपालिका कमिश्नर के आग्रह पर दोबारा ऑडिट कराया गया, इसके बाद भी अगर कोई त्रुटि रह गई है तो उसे ठीक कर लिया जाना चाहिए था, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में संभावित त्रुटियों को दूर नहीं किया गया, इस वजह से घंटागाड़ी निविदा के बारे में महानगरपालिका कमिश्नर की भूमिका संदिग्ध बतायी जा रही है। अब देखना यह है कि इस मामले में महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार क्या प्रतिक्रिया देते हैं और इस मसले पर उनकी अगली भूमिका क्या होती है। घंटागाड़ी संबंधी निविदा जारी करने को लेकर आरोप प्रत्यारोप बढ़े इससे पहले अगर महानगरपालिका कमिश्नर इस मसले पर  कोई ठोस और तत्काल निर्णय ले लें तो इससे महानगरपालिका कमिश्नर पर खड़े किए जा रहे सवाल अपने आप ही समाप्त हो जाएंगे।