Chhagan Bhujbal

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    मुंबई: राकांपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) ने बुधवार को कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का आदेश राज्य सरकार के लिए झटका है और उसे समुदाय के आरक्षण को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।       

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी कहा कि राज्य सरकार को ओबीसी से संबंधित डेटा का संग्रह तुरंत करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका राजनीतिक आरक्षण बना रहे। शिवसेना की अगुवाई वाली महामाराष्ट्र सरकार में राकांपा एवं कांग्रेस दोनों शामिल हैं।

    उच्चतम न्यायालय ने ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार की ओरसे दायर एक याचिका को खारिज कर दिया जिसमें केंद्र और अन्य अधिकारियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011, जाति के अनुमानित आंकड़ों का खुलासा करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि राज्य कानून के तहत उपलब्ध अन्य उपायों को अपनाने के लिए स्वतंत्र है।     

    केंद्र ने अदालत से कहा था कि एसईसीसी 2011 के आंकड़े ‘‘बिल्कुल अविश्वसनीय” हैं क्योंकि इसमें कई खामियां पाई गई हैं। केंद्र ने शीर्ष अदालात को यह भी बताया कि कि एसईसीसी 2011 ओबीसी डेटा ‘‘नहीं” है और इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था क्योंकि इसे ‘‘त्रुटिपूर्ण” और ‘‘गुमराह करने” वाला पाया गया था।     

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    भुजबल ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित करने की मांग की, लेकिन केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि ओबीसी जनगणना के लिए अनुभवजन्य डेटा एकत्र नहीं किया गया था और राज्यों को नहीं दिया जा सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी, जिस दौरान अदालत पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों की जानकारी लेगी। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण बना रहे।”   

     राकांपा नेता ने पूछा, ‘‘अगर कोई अनुभवजन्य डेटा नहीं था, तो देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री रहते हुए केंद्र से क्या मांगा था?” उन्होंने कहा कि वह ओबीसी आरक्षण की रक्षा के उद्देश्य से राज्य में किए गए सभी विरोध प्रदर्शनों में भाग लेंगे। पटोले ने भी कहा कि राज्य सरकार को ओबीसी के डेटा संग्रह को तुरंत लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राजनीतिक आरक्षण बना रहे। पटोले ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने जानबूझकर राज्य के साथ अनुभवजन्य डेटा साझा नहीं किया है।   

     कांग्रेस नेता ने पूछा, ‘‘यदि केंद्र के पास अनुभवजन्य डेटा दोषपूर्ण था, तो पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने अपने कार्यकाल के दौरान केंद्र को पत्र लिखकर डेटा को राज्य सरकार के साथ साझा करने की मांग क्यों की?” पटोले ने केंद्र सरकार पर ओबीसी जनगणना के पक्ष में नहीं होने का भी आरोप लगाया।   

     महाराष्ट्र सरकार की एक अलग याचिका पर, उच्चतम न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को स्थानीय निकाय में 27 प्रतिशत सीटों को सामान्य श्रेणी के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश दिया, जो ओबीसी वर्ग में आरक्षित थीं ताकि चुनाव प्रक्रिया को आगे ले जाया जाये । (एजेंसी)