जलापूर्ति परियोजना की देखभाल-मरम्मत के लिए 11 करोड़ का अतिरिक्त खर्च, पूर्व विधायक विलास लांडे ने जताई आपत्ति

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    पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) में सत्तादल भाजपा (BJP) जलापूर्ति योजना (Water Supply Scheme) में विफल रहा है। इसके खिलाफ शहर के नागरिक भी अपना रोष व्यक्त कर रहे हैं। आंध्र, भामा और आसखेड़ जैसी जलापूर्ति योजनाएं अधूरी हैं। इस बीच महानगरपालिका के अधिकारियों ने अब 29 दिसंबर, 2021 को हुई स्थायी समिति (Standing Committee) की बैठक में जलापूर्ति परियोजना के रख-रखाव और मरम्मत के नाम पर करीब 11 करोड़ रुपए के अतिरिक्त खर्च (Additional Expenditure) को मंजूरी दी है। पूर्व विधायक विलास लांडे (Former MLA Vilas Lande) ने उपमुख्यमंत्री और जिले के पालकम‍ंत्री अजीत पवार को दिए बयान में इस खर्च को स्थगित करने की मांग की है। सत्ताधारियों द्वारा जानबूझ कर जलापूर्ति परियोजनाओं को ठप किया जा रहा है। 

    लांडे ने आरोप लगाया कि सत्तादल रखरखाव और मरम्मत के नाम पर अपनी जेबें भर रहे हैं। साथ ही अब तक आपने क्या काम किया है? यह सवाल उठाकर लांडे ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से किए गए खर्च की जांच करने को कहा।

    उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से की शिकायत

    लांडे ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को दिए बयान में कहा कि अमृत योजना के तहत पिंपरी चिंचवड़ शहर के 60 फीसदी हिस्से में पर्याप्त प्रेशर से पानी पहुंचाने की परियोजना अभी तक पूरी नहीं हुई है। इसके चलते शहर के दूसरे हिस्सों में पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। सत्तादल की इस ढुलमुल योजना के खिलाफ शहर के नागरिक अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। इसमें अधिकारियों ने नागरिकों का पैसा लुटाना शुरू कर दिया है। लांडे ने आरोप लगाया कि जलापूर्ति परियोजना को अपर्याप्त रखा जा रहा है और अतिरिक्त 11 करोड़ रुपए मंजूर करने की योजना बनाई जा रही है। केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत चार टेंडर पैकेज में शहर के 60 फीसदी हिस्से में पर्याप्त प्रेशर वाटर सप्लाई करने का प्रोजेक्ट चल रहा है। 

    बढ़ी हुई लागत को दी गई मंजूरी

    इस परियोजना के तहत एक्वाडक्ट का नेटवर्क संवर्द्धन, उच्च पानी की टंकी का निर्माण, नए पाइपों की स्थापना और पानी के रिसाव को कम करने का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए अरबों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। अब फिर से बढ़ी हुई लागत को स्थायी रूप से मंजूरी दी गई है। बढ़ी हुई लागत को मंजूरी देने के कई कारण बताए गए हैं। इनमें भौगोलिक परिस्थितियों में बदलाव, जलमार्गों में लीकेज, जलापूर्ति की बार-बार शिकायतें, विकास कार्यों के दौरान खुदाई के दौरान नहरों का टूटना, कार्यों की बढ़ी हुई दरें शामिल हैं। अतः यह व्यय निर्धारित राशि से लगभग 11 करोड़ 53 लाख रुपए अधिक होगा। क्या इसे खर्च करने के बाद भी नहीं  शहरवासियों की प्यास बुझेगी?  लांडे ने मांग की कि अधिकारी इसे स्पष्ट करें और फिर अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत करें।

    बढ़े हुए खर्च में सत्ता पक्ष का सिर्फ आर्थिक हित

    केंद्र सरकार की अमृत​​परियोजना को लागू करने के लिए चार पैकेज में काम शुरू किया गया था। पहले पैकेज में 54.81 करोड़, दूसरे पैकेज में 67.64 करोड़ और तीसरे पैकेज में 60.51 करोड़ और चौथे पैकेज में 57. 43 करोड़ रुपये की लागत से काम शुरू किया गया था। हालांकि, पदाधिकारी इस परियोजना को लागू करने में विफल रहे हैं। जब परियोजना विफल हो गई, तो उनमें से  साढ़े 11 करोड़ रुपए फिर से खर्च किये जा रहे हैं। पूर्व विधायक विलास लांडे ने यह आरोप भी लगाया कि अतिरिक्त खर्च की मंजूरी सिर्फ सत्ता पक्ष के आर्थिक हित के लिए है।