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  • लोहगांव एयरपोर्ट पर समस्याओं और त्रुटियों का अध्ययन शुरू
शैलेंद्र सिंह @ नवभारत
पुणे: आठ साल से लटके पुरंदर (Purandar) के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Airport) की तकनीकी योजना (Technical Design) को अंतिम रूप (Finalize) वायुसेना (Air Force) देगी। केंद्र सरकार ने लोहगांव हवाई अड्डे पर पुणेकरों को वर्तमान में जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उसका अध्ययन करने और इसकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए  तकनीकी योजना तैयार करने का जिम्मा वायुसेना को सौंपा है। अगले पच्चीस से तीस वर्षों को ध्यान में रखते हुए वायुसेना यह योजना तैयार करेगी, जिसमें वायु सेना ने हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए चार से छह तरफ सड़कें, कम से कम चार रनवे का सुझाव दिया है। 

करीब 5 हजार करोड़ रुपये की आएगी लागत
लोहगांव हवाई अड्डा पुणे शहर का एकमात्र हवाई अड्डा है। लेकिन यह एक सैन्य हवाई अड्डा है और इसमें विस्तार के लिए कोई जगह नहीं बची है, इसलिए जिला प्रशासन ने काफी सोच-विचार के बाद नए हवाई अड्डे के लिए पुरंदर का नाम सुझाया। लेकिन उनके पास पैसों की दिक्कत थी। इसके लिए करीब 5 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस काम में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की पहल से लगने लगा है कि नए हवाई अड्डे की राह अब आसान होगी। लेकिन इस एयरपोर्ट के तकनीकी डिजाइन को लेकर उठे सवाल पर, लोहगांव एयरबेस को संभालने के अनुभव को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने यह काम वायु सेना को सौंपने का सुझाव दिया। 

 

चार से छह सड़कें और कम से कम चार रनवे की आवश्यकता
वायु सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि लोहगांव हवाई अड्डे के विस्तार के लिए यहां कोई जगह नहीं बची है। इसे चारों तरफ से शहर से घिरा हवाई अड्डा कहा जा सकता है। हवाई अड्डा पुरंदर में प्रस्तावित है। लोहगांव हवाई अड्डे पर समस्याओं और विफलताओं का पूरा अध्ययन किया गया है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसकी पुनरावृत्ति न हो। लोहगांव हवाई अड्डे तक पहुंचने में मुख्य रूप से सड़क की समस्या है। पुरंदर के लिए कम से कम चार से छह सड़कें प्रस्तावित की जानी हैं, क्योंकि पुणे शहर में यातायात बढ़ रहा है। यह योजना अगले 25 से 30 वर्षों में जनसंख्या और वाहनों की संख्या का अध्ययन करने के बाद तैयार की जाएगी। इसके अलावा लोहगांव में केवल एक रनवे है। जिसकी लंबाई बढ़ाना भी एक चुनौती है।  इसलिए पुरंदर के लिए कम से कम चार रनवे प्रस्तावित हैं। 

10 गुना बढ़ जायेगा हवाई यातायात
एक सूत्र ने बताया कि पुरंदर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन जाने के बाद, हवाई यातायात अब की तुलना में कम से कम दस गुना बढ़ जायेगा। फिलहाल मौजूदा समय में हवाई अड्डे पर 250 विमानों का नियोजन किया जाता है। इसमें घरेलू उड़ानों के साथ-साथ वायुसेना की उड़ानों का भी नियोजन किया जाता है। हवाई यातायात एक बहुत ही जटिल और हर पल सतर्क रहने वाला विषय है। इस तकनीकी योजना को बहुत सावधानी से बनाना पड़ता है। सूत्र ने बताया कि ऐसा किया जा सकता है क्योंकि वायुसेना के पास हर दिन लोहगांव हवाई अड्डे पर हवाई यातायात का एक लंबा अनुभव है। अगर यह एयरपोर्ट बन जाता है तो मुंबई के लिए बड़ी सुविधा होगी। वहां के एयरपोर्ट का बोझ भी कुछ हद तक कम हो सकता है। 

इतनी दूर जाएं कैसे
पुणे से पुरंदर की दूरी करीब 40 से 45 किमी है। ऐसे में अगर यह हवाई अड्डा बनता है तो पुरंदर पहुंचने में कम से कम दो घंटे लगेंगे। पुणे के लोगों की ओर से ऐसे सुझाव और शिकायत आ रही हैं। वायुसेना के सूत्रों ने बताया कि पुरंदर के लिए कम से कम 2 हजार 832 हेक्टेयर जमीन प्रस्तावित है। मौजूदा हालत में पुणे शहर में उतनी जगह नहीं है। लेकिन दस सालों में पुणे इतना बढ़ जाएगा कि पुरंदर से लोगों को अपनापन महसूस होने लगेगा। 

पुरंदर को पक्षियों का रखना होगा ध्यान
पक्षियों की वजह से आजकल सभी हवाई अड्डों पर हर मिनट पटाखा फोड़ना पड़ता है। अगर हवाई अड्डे के आसपास थोड़ा सा भी गीला कूड़ा, खाद्य सामग्री हो तो बड़ी संख्या में पक्षी वहां आ जाते हैं। एक छोटा सा पक्षी भी हवाई जहाज की उड़ान में बड़ी बाधा उत्पन्न कर सकता है।