Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation
Representative Pic

    Loading

    पिंपरी. रिश्वतखोरी (Bribery Case) के मामले में गिरफ्तार पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) के स्थायी समिति सभापति एड. नितिन लांडगे (Nitin Landge) समेत उनके पीए और अन्य कर्मचारियों की गिरफ्तारी और उन्हें सशर्त जमानत मिलने के बाद अब स्थायी समिति सदस्यों (Standing Committee Members) की शामत आ गई है। बुधवार की शाम एसीबी (Anti Corruption Bureau) ने स्थायी समिति को नोटिस जारी कर उन्हें 29 सितंबर तक एसीबी (ACB) के दफ्तर में हाजिर होने के आदेश जारी किए हैं। इसमें सत्तादल भाजपा (BJP) के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), शिवसेना (Shiv Sena) और निर्दलीय मोर्चा के सदस्य भी शामिल हैं। 

    एसीबी की उपाधीक्षक सीमा मेहेंदले ने बीती शाम महानगरपालिका कमिश्नर राजेश पाटिल से मुलाकात करने के बाद सभी सदस्यों को नोटिस जारी की है। रिश्वतखोरी के मामले में शिकायतकर्ता के बयान के अनुसार, महानगरपालिका के आकाशचिन्ह अनुज्ञप्ति विभाग की स्थायी समिति में लंबित फाइलें और सदस्यों को दिए जानेवाले कमीशन संबंधित वॉइस रिकॉर्ड के बारे में सदस्यों से पूछताछ की जाएगी। 

    10 लाख रुपए की मांगी थी रिश्वत

    महानगरपालिका के आकाशचिन्ह अनुज्ञप्ति विभाग द्वारा जारी की गई होर्डिंग्स लगाने की टेंडर प्रकिया में हिस्सा लेकर उसने 28 टेंडर सबसे कम दर में भरे। टेंडर मंजूरी के बाद भी उसे वर्क ऑर्डर नहीं मिलने से ठेकेदार ने स्थायी समिति सभापति नितिन लांडगे और उनके पीए ज्ञानेश्वर पिंगले से मुलाकात की। वर्क ऑर्डर के करारनामा पर हस्ताक्षर करने के लिए 10 लाख रुपए मांगी गई। बाद में बात छह लाख रुपए पर तय हुई। 18 अगस्त को एसीबी ने 1 लाख 18 हजार रुपए की रिश्वत लेने के मामले में स्थायी समिति सभापति एड. नितिन ज्ञानेश्वर लांडगे, उनके पीए और महानगरपालिका के मुख्य लिपिक ज्ञानेश्वर किसनराव पिंगले (56), लिपिक विजय शंभुलाल चावरिया (38), कम्प्यूटर ऑपरेटर राजेंद्र जयवंतराव शिंदे (51) और चपरासी अरविंद भीमराव कांबले (50) को गिरफ्तार किया था। दो बार पुलिस कस्टडी और एक बार न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद अदालत ने सभी आरोपियों को सशर्त जमानत मंजूर की है।  

    ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सामने आई

    एसीबी की जांच में सामने आया कि एड. नितिन लांडगे के पीए ज्ञानेश्वर पिंगले ने ठेकेदार से कहा था कि कमीशन के पैसे ऊपर 16 सदस्यों को देने होते है। सभापति लांडगे ने तीन की बजाय दो टका कमीशन पर बात खत्म करने की बात की भी ऑडियो रिकॉर्डिंग से सामने आयी है। इसके चलते समिति सदस्यों और अन्य कर्मचारियों की जांच करने की बात को एसीबी ने अदालत में बार- बार दोहराई है। इसके बाद से स्थायी समिति के सदस्य एसीबी की रडार पर थे। इसमें भाजपा के 9, एनसीपी के 4, शिवसेना और निर्दलीय मोर्चा के 1-1 सदस्य शामिल हैं। अब एसीबी ने सभी को नोटिस जारी की है। इसमें भाजपा के शत्रूघ्न काटे, सुवर्णा बुर्डे, अंबरनाथ कांबले, शशिकांत कदम, संतोष कांबले, भिमाबाई फुगे, सुरेश भोईर, रवि लांडगे, राष्ट्रवादी कांग्रेस की सुलक्षणा धर, प्रविण भालेकर, पोर्णिमा सोनवणे, राजू बनसोडे, शिवसेना की मीनल यादव और निर्दलीय मोर्चा की नीता पाडाले का समावेश है। इन सभी सदस्यों को नोटिस के जरिये 29 सितंबर तक एसीबी के दफ्तर में हाजिर रहने का आदेश दिया है।