नदी प्रदूषण रोकने के लिए कृत्रिम विसर्जन हौद का निर्माण

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    पिंपरी : मांगल्य का प्रतीक रहे गणेशोत्सव (Ganeshotsav) को सही मायने में इको फ्रेंडली (Eco Friendly) तरीके से मनाने के लिये आसवानी प्रमोटर्स एंड बिल्डर्स (Aswani Promoters And Builders) और एस्पिरिफाय इन्वायरमेंट (Aspirifay Environment) द्वारा अनूठा उपक्रम चलाया जा रहा है। पिंपरी-चिंचवड (Pimpri-Chinchwad) शहर की जीवनवाहिनी पवना नदी का प्रदूषण रोकने के लिए निजी जमीन पर विसर्जन के लिए कृत्रिम हौद (Artificial Pond) बनाए गये हैं। पिंपरीगांव के वैभवनगर में तीन कृत्रिम विसर्जन हौद बनाये गए हैं। निजी जमीन पर कृत्रिम विसर्जन हौद बनाने का यह न केवल पिंपरी -चिंचवड शहर में बल्कि राज्य पहला अवसर है। 

    पिछले दो साल से कोरोना के कारण सभी त्योहारों और समारोहों को मनाने पर पाबंदी थी। हालांकि पाबंदी हटाने के बाद अब हर जगह गणेश उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस खुशी की घड़ी में भी वसुंधरा की सुरक्षा के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से “श्री” की मूर्ति के विसर्जन के लिए आसवानी एसोसिएट्स और एस्पिरिफाय एनवायरनमेंट की ओर से पिंपरी के वैभवनगर में विशाल कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया गया है। यह पहल करने वाले उद्योगपति विजय आसवानी और राजू आसवानी, श्रीचंद आसवानी, सतीश आसवानी, अनिल आसवानी ने यहां गणेश प्रतिमाओं को विसर्जित करने और नदी प्रदूषण को रोकने में सहयोग करने की अपील की है।

    अनुभवी लाइफगार्ड नियुक्त किए गए 

    मूर्ति के साथ निर्माल्य और साज-सज्जा का सामान अलग रखने के लिए स्वयंसेवक यहां मदद कर रहे हैं। पिंपरी-चिंचवड, कालेवाड़ी, पिंपले सौदागर, पिंपले गुरव, तानाजीनगर, लिंक रोड क्षेत्रों के नागरिकों के साथ-साथ सार्वजनिक मंडलों की बड़ी गणेश मूर्तियों का विसर्जन यहां किया जा सकता है। विसर्जन के समय श्री गणेश की आरती के लिए श्रद्धालुओं के लिए अलग से व्यवस्था और निर्मल्यकुंड की व्यवस्था की गई है। आयोजकों की ओर से बिजली व्यवस्था, पेयजल और शौचालय की भी व्यवस्था की गयी है। निजी अनुभवी लाइफगार्ड नियुक्त किए गए हैं जो विधिपूर्वक मूर्तियों को इन हौदों में विसर्जित करेंगे। यहां विसर्जित की गई मूर्तियों को राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला के मार्गदर्शन में विघटित किया जाएगा। उद्यमी श्रीचंद आसवानी ने यह भी जानकारी दी है कि एकत्रित मिट्टी से आकर्षक मटके बनाकर आयोजकों की ओर से उन गमलों को भक्तों और गणेश मंडलों में नि:शुल्क वितरित किया जाएगा।