नगरसेविका अश्विनी चिंचवडे शिवसेना से निष्कासित, जानें क्या है कारण

    Loading

     पिंपरी : शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे (Shiv Sena MP Shrirang Barne) के कट्टर समर्थक रहे पुणे जिला (मावल) प्रमुख गजानन चिंचवड़े (Gajanan Chinchwade) ने शिवसेना (Shiv Sena) ‘जय महाराष्ट्र’ करते हुए भाजपा (BJP) को ‘राम राम’ किया है। 22 सितंबर को उनके ‘कमल’ थामने के बाद उनकी पत्नी नगरसेविका अश्विनी चिंचवड़े पर कार्रवाई की गाज गिरी है। उन्हें शिवसेना (Shiv Sena) से निष्कासित कर दिया गया। बीती देर रात इस कार्रवाई का आदेश जारी किया गया है। उन्हें पार्टी से निकाला गया है, संभागीय आयुक्त स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इससे उनका नगरसेवक पद अबाधित रहेगा और वह अगला चुनाव भी लड़ सकेंगी।

    अश्विनी चिंचवड़े दो बार शिवसेना की ओर से नगरसेविका चुनी गई हैं। वरिष्ठता के आधार पर उन्होंने स्थायी समिति की सदस्यता पर दावा किया था। हालांकि उनकी बजाय मीनल यादव को मौका दिया गया। इससे वह नाराज चल रही थी। पार्टी आदेश का उल्लंघन करने से गुटनेता राहुल कलाटे से गुटनेता पद का इस्तीफा मांगा गया, उन्होंने दिया भी। 

    पति ने थामा भाजपा का दामन

    उसके बाद चिंचवड़े को गुटनेता पद की आस थी, मगर उस पर भी पांच माह से कोई फैसला नहीं किया गया। इसकी नाराजगी में उनके पति गजानन चिंचवड़े ने शिवसेना छोड़कर भाजपा में प्रवेश किया। इसके बाद उनकी पत्नी अश्विनी चिंचवड़े क्या भूमिका अपनाएंगी, यह सवाल खड़ा किया जा रहा था। हालांकि उन्होंने सोशल मीडिया पर धनुष्य बाण की बजाय कमल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। इसे पार्टी विरोधी कार्रवाई बताकर शिवसेना ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया।

    भाजपा में शामिल हो सकते हैं और भी नगरसेवक!

    निष्कासन की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने सही वक्त पर सही फैसला करने की बात कही है। पार्टी ने भले ही उन्हें निष्कासित कर दिया हो उनके खिलाफ संभागीय आयुक्त स्तर पर कार्रवाई नहीं की है। इससे उनका नगरसेवक पद अबाधित है और वह अगला चुनाव भी लड़ सकेंगी क्योंकि संभागीय आयुक्त स्तर पर कार्रवाई के बाद वह 6 वर्ष के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य साबित होती थी। बहरहाल इस कार्रवाई के बाद पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका में शिवसेना नगरसेवकों की संख्या नौ से आठ पर पहुंच गई है। उसी में भाजपा ने पांच नगरसेवकों के उनके संपर्क में रहने का दावा किया है। अगर ऐसा होता है तो यह संख्या तीन पर आ जायेगी। नतीजन चार माह बाद होने वाले मनपा चुनाव में शिवसेना महानगरपालिका पर अपने भगवा परचम को लहराने का सपना कैसे साकार करेगी? यह सवाल खड़ा हुआ है।