पिंपरी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पुणे दौरे पर थे। यहां उन्होंने पिंपरी-चिंचवड (Pimpri-Chinchwad) से सटे देहूगांव (Dehugaon) में जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज की शिला मंदिर (Shila Mandir) का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि यह शिला मंदिर ना केवल भक्ति की शक्ति का एक केंद्र है बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक भविष्य को भी प्रशस्त करता है। प्रधानमंत्री ने विकास के पथ पर आगे बढ़ने के दौरान अपनी विरासत और प्राचीन परंपराओं का जतन करने पर जोर देते हुए कहा कि आज जब अत्याधुनिक तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर भारत के विकास का पर्याय बन रहे हैं। तब हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं, कि विकास और विरासत साथ-साथ आगे बढ़े।
इन तीर्थ क्षेत्रों के विकास में गति मिलेगी
कार्यक्रम के मंच पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल मौजूद थे। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, अभी कुछ महीनें पहले ही मुझे पालकी मार्ग में 2 राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन करने के लिए शिलान्यास का अवसर मिला था। श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी मार्ग का निर्माण 5 चरणों में होगा और संत तुकाराम पालकी मार्ग का निर्माण 3 चरणों में पूरा किया जाएगा। इन सभी चरणों में 350 किमी से अधिक लंबाई के हाईवे बनेंगे और इस पर 11,000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया जाएगा। इन प्रयासों से इन तीर्थ क्षेत्रों के विकास में गति मिलेगी। उन्होंने कहा, इस पवित्र स्थान का पुनर्निमाण करने के लिए मैं मंदिर न्यास और सभी भक्तों का आभार व्यक्त करता हूं। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य जन्म में सबसे दुर्लभ संतों का सत्संग है, संतों की अनुभूति हो गई तो ईश्वर की अनुभूति अपने आप हो जाती है। आज देहू की इस पवित्र तीर्थ-भूमि पर आकर मुझे ऐसी ही अनुभूति हो रही है।
Blessed to inaugurate Jagatguru Shrisant Tukaram Maharaj Temple in Dehu, Pune. His teachings inspire all of us. https://t.co/RT1PGpihCf
— Narendra Modi (@narendramodi) June 14, 2022
संतों ने एक भारत-श्रेष्ठ भारत को जीवंत रखा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हम दुनिया के प्राचीनतम जीवित सभ्यताओं में से एक हैं, इसका श्रेय संतों की परंपरा को जाता है। भारत शाश्वत इसलिए है क्योंकि भारत संतों की भूमि हैं। हर काल में भारत में कोई ना कोई महान विभूति हमारे मार्ग को प्रशस्त करती रही है। आज देश संत कबीरदास की जयंती मना रहा है। भारत की संस्कृति शाश्वत इसलिए है क्योंकि यहां संतों की परंपरा रही है। संतों ने एक भारत-श्रेष्ठ भारत को जीवंत रखा। संत तुकाराम कहा करते थे ऊंच-नीच में भेद करना सबसे बड़ा पाप है। यह सीख सिर्फ धर्म से जुड़ी भक्ति के लिए ही नहीं राष्ट्र और समाज भक्ति के लिए भी जुड़ी है। अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग लोगों को संत तुकाराम की वाणी प्रेरणा बनी। वीर सावरकर जेल में अपनी हथकड़ियां बजा कर संत तुका के अभंग गाया करते थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन में भी तुकोबाराया की भूमिका महत्वपूर्ण रही। संतों ने अलग-अलग स्थानों की यात्रा कर एक भारत और श्रेष्ठ भारत की भावना को जीवंत रखा। राम मंदिर बन रहा है। काशी के मंदिर का भी विकास हो रहा है। इसके अलावा चैत्य भूमि और लंडन में बाबा साहेब आंबेडकर का लंडन निवास का भी विकास किया जाएगा
हम देश सेवा को अपनी आध्यात्मिक मुक्ति का हिस्सा बनाएंगे : प्रधानमंत्री मोदी
उन्होंने मराठी में वारकरी संप्रदाय का अभिवादन करते हुए कहा ‘भगवान विट्ठल और सभी वारकरियों के चरणों में मेरा कोटि-कोटि वंदन। शास्त्रों में कहा गया है कि मनु्ष्य जन्म में सबसे दुर्लभी संतों का संगम है। अगर संतों की कृपा हो गई तो समझिए साक्षात देव का दर्शन हो गया। देहू संत शिरोमणि जगद्गुुरु तुकाराम की जन्मभूमि भी है और कर्मभूमि है। धन्य देहू गांव, पुण्य भूमि ठांव। देहू में भगवान पांडुरंग का नित्य निवास है और यहां का जन-जन भी भक्ति से ओत-प्रोत संत स्वरूप ही है। मोदी ने कहा, ‘देश ने पर्यावरण, जल संरक्षण का भी संकल्प लिया है। हम देश सेवा को अपनी आध्यात्मिक मुक्ति का हिस्सा बनाएंगे। हर जिले में हमने 75 अमृत सरोवरों को बनाने का संकल्प लिया है। इसमें आप संतो का साथ मिल जाए तो बड़ी देश सेवा होगी। हम कैसे प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाएं, इसके लिए भी मिल कर काम करनेा होगा। थोड़े ही दिनों में योग दिवस आने वाला है। आज जिस योग की पूरी दुनिया में धूम है, यह भी संतों की ही तो देन है।