School Closed For Survey

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  • सर्वे के काम में जुटे शिक्षक 
  • शिक्षक और कर्मचारियों सहित 3 हजार मराठा सर्वे के काम में जुटे
  • स्कूलों से शिक्षक गायब, पढ़ाई का हो रहा नुकसान

पिंपरी: महाराष्ट्र (Maharashtra) में मराठा आरक्षण (Maratha reservation) चर्चा में बना हुआ है। सर्वे के लिए शिक्षक और सरकारी कर्मचारियों को काम पर लगा दिया गया है। स्कूलों से शिक्षक गायब है (School Closed For Survey) बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है और देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ की स्थिति पड़ा हो गई है। पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के शिक्षकों को मराठा सर्वे (survey duty) का काम सौंपा गया है। यह काम 31 जनवरी तक पूरा करने की जिम्मेदारी शिक्षकों (Teachers) पर सौंपी गई है। ऐसे में कई शिक्षक सर्वे के लिए बाहर हैं। उन्होंने स्कूल को राम भरोसे छोड़ दिया है। इसका असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर हो रहा है। उनका शैक्षणिक नुकसान हो रहा है। साढ़े सात हजार कर्मचारियों में 3 हजार कर्मचारियों पर सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है। 

दो दिन जल्लोष में बर्बाद
पिंपरी-चिंचवड महापालिका के स्कूलों में पहले तो महीने भर से‘जल्लोष शिक्षण’ उपक्रम चल रहा था। इस वजह से पढ़ाई की उपेक्षा हो रही थी। इस वजह से 23 और 24 जनवरी का दिन ‘जल्लोष’ में बर्बाद हुआ। वार्षिक परीक्षा पास है। शिक्षकों को विद्यार्थियों की पढ़ाई शुरू करनी है। लेकिन शिक्षकों पर सर्वे की जिम्मेदारी डाल दी गई है। 31 जनवरी तक सर्वे पूरा करने की जिम्मेदारी होने से शिक्षक स्कूलों की पूरी तरह से उपेक्षा कर रहे है। स्कूल वर्तमान में उन शिक्षकों पर निर्भर है जो अल्प वेतन पर काम कर रहे हैं। 

 

शिक्षक विद्यार्थियों को कब पढ़ाएंगे
पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के 7,500 कर्मचारियों में से 1,900 कर्मचारियों को सर्वे का काम सौंपा गया है। एक हजार 23 शिक्षकों को सर्वे की जिम्मेदारी दी गयी है। इसमें बाकी कर्मचारियों को ध्यान में रखे बिना शिक्षकों को सीधे काम दे दिया गया है, इसलिए शिक्षकों पर अतिरिक्त तनाव बढ़ गया है। सर्वे के बाद बचे हुए सिलेबस को पूरा कराने की जिम्मेदारी से शिक्षक नहीं चूकेंगे। यह विद्यालय की गुणवत्ता में सुधार की लटकती तलवार है। इसलिए, गतिविधियों की भीड़ में, शिक्षक पूछ रहे हैं कि वे छात्रों को कब पढ़ाएंगे। 

शिक्षक क्यों?
जब विद्यार्थियों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है तो शिक्षकों को ऐसे गैर-शैक्षणिक कार्यों की जिम्मेदारी देना कितना उचित है? इसलिए, शिक्षक पूछ रहे हैं कि हम पर अतिरिक्त तनाव और विद्यार्थियों के शैक्षणिक नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है। इस संबंध में एक शिक्षक ने निजी तौर पर कहा कि अधिकारियों ने हमें मौखिक आदेश दिया है कि ‘भले ही स्कूल बंद रहें, लेकिन पहले एक सर्वे करें।’

प्रधानाध्यापकों को भी जिम्मेदारी
यह जिम्मेदारी शिक्षकों के साथ-साथ प्रधानाध्यापकों को भी दी गई है। इसलिए स्कूल की जिम्मेदारी वेतनभोगी शिक्षकों पर ही आ गयी है। शिक्षण के अलावा शिक्षक हमेशा कुछ गैर-शैक्षणिक कार्यों के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। अब प्रत्येक शिक्षक को कम से कम 300 से 400 घरों का सर्वे करना होगा। इसलिए अगले छह दिनों में 400 घरों से मिलकर सर्वे पूरा करना है। 

शिक्षा विभाग में शांति
शिक्षा विभाग में शिक्षकों, कर्मचारी अधिकारियों की हमेशा गड़बड़ी रहती है। लेकिन, मौजूदा समय में शिक्षा विभाग बदहाल है। सभी कर्मचारियों को सर्वे की जिम्मेदारी दे दिए जाने से विभाग बेहद शांत था। 

अविनाश शिंदे (सहायक आयुक्त, नोडल ऑफिसर)
चूंकि इस काम को कुछ ही दिनों में पूरा करने की जिम्मेदारी है, इसलिए मनपा के सभी विभागों के कर्मचारियों को यह काम सौंपा गया है। इसमें शिक्षक भी हैं। अभी भी हमारे यहां ऐसी स्थिति है जहां मैनपावर कम है और काम ज्यादा है।