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    पिंपरी : पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम (Pimpri Chinchwad Municipal Corporation) द्वारा संचालित सीसीटीवी सर्विलांस (CCTV Surveillance) के कार्य की निविदा प्रक्रिया संदिग्ध है। क्योंकि यह चतुर अधिकारियों (Officials) द्वारा भ्रष्टाचार (Corporation) का प्रयास है, इसलिए इस कार्य के लिए कार्य आदेश जारी नहीं किया जाना चाहिए। यह आरोप लगाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस के शहर अध्यक्ष संजोग वाघेरे पाटिल ने राज्य सरकार से  इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने राज्य सरकार के प्रमुख सचिव, संभागायुक्त और महानगरपालिका कमिश्नर (Municipal Commissioner) राजेश पाटिल (Rajesh Patil) को पत्र भी भेजा है।

    इस संबंध में जारी किए गए विस्तृत बयान में उन्होंने कहा है कि पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम के मुख्य विद्युत विभाग द्वारा 31 नवंबर 2021 को प्रकाशित की गई है और निविदा आवेदन की स्वीकृति 22 दिसंबर तक रखी गई थी। कुल पांच बोलीदाताओंने निविदा में भाग लिया था। उनमें से तीन को विभिन्न कारणों से निविदा प्रक्रिया से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।  शेष मैट्रिक्स सिक्युरिटी एंड सर्वेलन्स प्रा. लि, टेक्नोसिस सिक्युरिटी एंड सर्वेलन्स प्रा. लि. इस निविदा में दो ऐसे निविदाकार पात्र हैं। मैट्रिक्स सिक्युरिटी की निविदा दर -0.05 तक कम कर दी गई थी। जबकि टेक्रोसिस सिक्योरिटी की दर 8.00% अधिक थी। दो पात्र बोलीदाताओं की दरों में बड़ा अंतर है। मैट्रिक्स सिक्युरिटी सबसे कम दरों की पेशकश करने वाली कंपनी के कारण स्थायी समिति ने इसके प्रस्ताव को मंजूरी दी है। 

    निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले पांच बोलीदाताओं में से तीन को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इस टेंडर प्रक्रिया में सीसीटीवी कैमरे लगाने का मूल काम 4 साल की अवधि के लिए काम कराना है। मैट्रिक्स सिक्यूरिटी कंपनी को मेंटेनेंस और रिपेयर का भी काम दिया जाएगा। इस पर सालाना करीब 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे निगम को आर्थिक नुकसान हो सकता है। निविदा प्रक्रिया के संचालन के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी की एक परामर्श फर्म को नियुक्त किया गया था। निविदा इस तथ्य के कारण पूरी तरह से संदिग्ध प्रतीत होती है कि नामित परामर्श कंपनी, तीन बोलीदाताओं को अयोग्य घोषित कर दिया गया है और दो योग्य बोलीदाताओं के बीच का अंतर बहुत बड़ा है। इसके चलते राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से मांग की गई है कि इस टेंडर के संबंध में कार्यादेश तत्काल रोका जाए और टेंडर प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।