पुणे: नाबालिगों की अपराध में बढ़ती संलिप्तता पुणे पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन गई है। शांतिपूर्ण और सांस्कृतिक शहर पुणे में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। इन अपराधों में खासकर नाबालिगों की भागीदारी को देखते हुए पुलिस आयुक्त ने बड़े हो चुके नाबालिगों की सूची बनाकर उनके पिता को भी इस मामले में सह आरोपी बनाने का निर्देश दिया है। जिन लोगों पर तीन से अधिक मामले दर्ज हैं। जिनके पैसों पर परिवार या पिता मौज कर रहे है उनके खिलाफ भी कार्रवाई का आदेश दिया गया है।
तोड़फोड़ और आगजनी का नया चलन
शहर में अपराध की दर बढ़ती जा रही है। सड़क पर होने वाले अपराध काफी बढ़ गए है। पिछले कुछ सालों में शहर में गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी कर दहशत फैलाने का नया चलन शुरू हुआ है। आतंकित करने का सबसे आसान तरीका नौसिखिए अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। यह सभी आम लोगों के मन में बहुत बड़ा डर पैदा कर रहा है। दूसरी ओर, इस तरह के अपराध से आम और मेहनतकश नागरिकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन बढ़ते अपराधों से निपटने के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन वारदातें थमने का नाम नहीं ले रही है।
परिवर्तन नहीं ला पाया ज्यादा परिवर्तन
इसके साथ ही इस प्रकार के अपराध में नाबालिग बच्चों की संलिप्तता भी काफी देखी जा रही है, चूंकि वे नाबालिग हैं, इसलिए पुलिस के सामने कार्रवाई करने की एक सीमा तय है। आतंक मचाने वाले ये नाबालिग कुछ ही दिनों में फिर से उसी इलाके में घूमते नजर आते हैं। इसलिए, पुणे पुलिस ने पिछले कुछ वर्षों में नाबालिगों को अपराध से बाहर निकालने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन, हकीकत ये है कि इसका असर दिख नहीं रहा है। हाल ही में नाबालिगों के लिए परामर्श का एक नया कार्यक्रम परिवर्तन शुरू किया गया। इससे ये नाबालिग के हाथ काम और पढ़ाई से जुड़ गए, लेकिन अब यह गतिविधि काफी धीमी गति से चल रही है।
तीन साल के अपराध की समीक्षा
नवनियुक्त कमिश्नर अमितेश कुमार ने अब इन घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाते हुए बच्चों के माता-पिता के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। शहर में आगजनी, वाहनों में तोड़फोड़ और संपत्ति के नुकसान और अपराधों को लेकर हाल ही में शहर की सभी स्थानीय पुलिस जांच टीमों और अपराध शाखा टीमों की एक बैठक आयोजित की गई थी। इसमें उन्होंने अधिकारियों का मार्गदर्शन किया।
20 प्रतिशत नाबालिग
बैठक में कमिश्नर ने पिछले तीन साल के अपराधों की समीक्षा की। ऐसा पाया गया है कि इस प्रकार के अपराध में 20 प्रतिशत नाबालिग शामिल हैं। नाबालिगों पर मुकदमा चलाते समय कुछ सीमाएं होती हैं। उनके विरुद्ध निरोधात्मक कार्रवाई कर अभिभावकों को जागरूक किया जाए। पुलिस कमिश्नर ने बैठक में आदेश दिया कि अभिभावकों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। विशेष रूप से उन्होंने वयस्क नाबालिगों के साथ-साथ तीन से अधिक अपराधों वाले नाबालिग के पिता को भी अपराध में सह-अभियुक्त बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है जो नाबालिगों के पैसे पर घर चला रहे हैं या फिर पिता उनसे पैसे लेकर गुजारा कर रहे हैं।
माता पिता की होगी काउंसलिंग
हालांकि, इस बार पुलिस कमिश्नर ने बिना कार्रवाई किए मूल रूप से उग्र लोगों को नहीं छोड़ने की बात कही है। साथ ही गंभीर अपराधों में शामिल नाबालिगों की सूची बनाइए और उनके माता-पिता की काउंसलिंग करें. माता-पिता को बच्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए. उनकी हरकतों पर नजर रखें। वे क्षेत्र जहां वाहनों में तोड़फोड़ के अपराध हुए हैं। ऐसे इलाकों पर नजर रखें। यह सुझाव दिया गया है कि नाबालिग की भी काउंसलिंग की जानी चाहिए।