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पुणे: पुणे के दक्षिणी भाग में हरे-भरे वन क्षेत्र कात्रज-कोंढवा (Katraj-Kondhwa) में पर्यावरणविदों को डर है कि बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण (Unauthorized Constructions) और पुणे महानगरपालिका प्रशासन ( Pune Municipal Administration) द्वारा उपेक्षा के कारण सुरम्य दृश्य गायब हो जाएंगे। इस इलाके में कई छोटी और बड़ी पहाड़ियां हैं, जैव विविधता से समृद्ध है और कुछ साल पहले पुणे (Pune) में तबाही मचाने वाली अंबिल धारा का उद्गम स्थल है। 

सुंदरता के बावजूद पीएमसी (PMC) के निर्माण विभाग से परमिट के बिना इलाके में अतिक्रमण हो रहा है। निर्माण और अतिक्रमण निकासी विभागों ने इस मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया है और कई बिल्डरों ने पहाड़ी क्षेत्रों का लाभ उठा कर निर्माण कार्य किए, जिससे पहाड़ों की सुंदरता खत्म होती जा रही हैं। पर्यावरण विदों ने आरोप लगे कि वन विभाग ने भी इस क्षेत्र की उपेक्षा की है, और अज्ञात व्यक्तियों द्वारा आग लगने और पेड़ काटने की घटनाएं हुई हैं।

इलाके की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने की प्रशासनिक क्षमता पर संदेह

पर्यावरण विद किरण भंडारी ने प्रकृति के सम्मान के महत्व और प्रशासन द्वारा पहाड़ियों और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए उचित उपाय करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला हैं।  अनधिकृत निर्माणों को नियंत्रित करने और प्राकृतिक सुंदरता की सुरक्षा पर अधिकारियों द्वारा ध्यान न देने से इसके भविष्य के बारे में चिंता बढ़ गई है। जांभूलवाड़ी झील, इलाके के शांत स्थानों में से एक है, जो आसपास की सुंदरता में इजाफा करती हैं। पहाड़ियों पर अतिक्रमण किया जा रहा है और पर्यावरण को और अधिक नुकसान को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा उचित ध्यान देने की आवश्यकता है। अनाधिकृत निर्माणों को नियंत्रित करने में प्रशासन की उपेक्षा इलाके की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने की उनकी क्षमता पर संदेह पैदा करती है।