प्रतिकात्मक फोटो
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    पिंपरी: केंद्र सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार स्मार्ट सिटी परियोजना (Smart City Project) के अंतगर्त स्मार्ट सिटी कंपनियों का बोरिया बिस्तर समेटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। केंद्र सरकार (Central Government) ने सभी स्मार्ट सिटी कंपनियों को 1 अप्रैल से कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं करने का स्पष्ट आदेश जारी किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगले साल जून के महीने में ‘स्मार्ट सिटी’ कंपनियों का काम बंद कर दिया जाएगा और यह साफ हो गया है कि ये सारे मामले और परियोजनाएं संबंधित महानगरपालिका के हाथ में होंगे। 

    इस बीच पिंपरी-चिंचवड़ स्मार्ट सिटी (Pimpri-Chinchwad Smart City) में करोड़ों के टेंडर, भ्रष्टाचार के आरोप, विकास कार्यों की जगह तकनीकी कार्यों की जगह ईडी से शिकायत जैसे भ्रष्टाचार के आरोप लगातार सुर्खियों में रहे।

    स्मार्ट सिटी मिशन में 100 शहरों का किया था चयन 

    गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा 25 जून 2015 को ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ शुरू किया गया था। शहरों के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया गया। केंद्र सरकार ने प्रतियोगिता के अंत में ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ में 100 शहरों का चयन किया था। महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में चुना गया था। हालांकि पहले चरण में पिंपरी-चिंचवड़ को शामिल नहीं किया गया था। नवी मुंबई महानगरपालिका के निकलने के बाद पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया। इसके बाद, शहर में 13 जुलाई, 2017 को पिंपरी-चिंचवड स्मार्ट सिटी कंपनी की स्थापना की गई।

    पिंपरी-चिंचवड शहर को स्मार्ट सिटी के तहत मिले करोड़ों रुपए

    पिंपरी-चिंचवड समेत अन्य जगहों पर स्मार्ट सिटी कंपनियों द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों की वित्तीय सहायता से विकास कार्य किए गए थे। हालांकि, शहरों के विकास में ‘स्मार्ट शहरों’ के योगदान पर अलग-अलग विचार हैं और इसमें संदेह है कि क्या उन्हें वास्तव में लाभ हुआ है। पिंपरी-चिंचवड शहर को स्मार्ट सिटी के तहत केंद्र सरकार से 392 करोड़ रुपए, राज्य सरकार से 196 करोड़ रुपए और महानगरपालिका से 196 करोड़ रुपए मिले थे।  इसमें से 751 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। 33 करोड़ रुपए बकाया है। 196 करोड़ रुपए की आखिरी किस्त स्मार्ट सिटी के लिए होगी। स्मार्ट सिटी मिशन की स्थापना के समय यह स्पष्ट किया गया था कि स्मार्ट सिटी कंपनी पांच साल तक काम करेगी। कंपनी का कार्यकाल 2022 में समाप्त होना था। कंपनी द्वारा शुरू की गई कई परियोजनाओं के अधूरे होने के कारण कंपनी को एक साल का विस्तार दिया गया है। इसकी समय सीमा जून 2023 है। 

    1 अप्रैल से कोई भी निविदा प्रक्रिया संचालित न करने का आदेश

    इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने हाल ही में देश की सभी “स्मार्ट सिटी” कंपनियों को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि 31 मार्च, 2022 के बाद कोई भी निविदा प्रक्रिया आयोजित नहीं की जानी चाहिए। उन्हें स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा चल रहे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का टारगेट दिया गया है। स्मार्ट सिटी कंपनी के पूरा होने पर चल रहे प्रोजेक्ट्स को महानगरपालिका को सौंपा जाएगा। 

    कई योजनाओं का काम शुरू है

    पिंपरी-चिंचवड़ स्मार्ट सिटी ने शहर में सौर ऊर्जा परियोजनाओं, स्मार्ट कियोस्क, साइकिल साझाकरण, कौशल विकास केंद्र, स्टार्ट-अप ऊष्मायन केंद्र, ई-क्लास रूम, स्कूल स्वास्थ्य निगरानी, सार्वजनिक ई-शौचालय, शहर मोबाइल एप और सोशल मीडिया को पूरा करने का दावा किया है, जबकि स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट, सिटी सर्विलांस, स्मार्ट पार्किंग जिसमें मल्टीलेवल कार पार्क, कमांड कंट्रोल सेंटर, ऑप्टिकल फाइबर केबल, स्मार्ट वाटर सप्लाई, पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट, स्मार्ट सीवरेज, आईसीटी इनेबल्ड एसडीएलयूएम, स्ट्रीटस्केपिंग एबीडी, जीआईएस इनेबल ईआरपी सहित म्युनिसिपल सर्विस लेवल बेंच मेकिंग यूनिक स्मार्ट एडिंग एंड ऑनलाइन एस्टैब्लिशमेंट लाइसेंसिंग आदि योजनाओं का काम शुरू है। अब जबकि स्मार्ट सिटी का बोरिया बिस्तर समेटने की तैयारी शुरू हो चुकी है तब इन तमाम परियोजनाओं पर सवालिया निशान लग गया है। 

    केंद्र सरकार की ओर से कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं, मगर महानगरपालिका के फंड से काम किया जा सकता है।

    -नीलकंठ पोमन, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी, स्मार्ट सिटी