Pune Ranking News

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पुणे: ऑक्सफर्ड ऑफ़ ईस्ट कहे जानेवाले सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (Savitribai Phule Pune University) की रैंकिंग (Ranking) गिरने की वजह राज्य सरकार (State Govt.) का नियमित रूप से होने वाला राजनीतिक हस्तक्षेप हैं। विश्वविद्यालय में कुलगुरु सहित अन्य वरिष्ठ पदों की नियुक्ति, प्रोफेसर की भर्ती और अन्य कामकाज में हो रहे हस्तक्षेप को अगर वक्त पर कम नहीं किया गया, तो रैंकिंग और भी नीचे आ जाएगी। ऐसा आरोप महाराष्ट्र प्रदेश युवक कांग्रेस के महासचिव प्रथमेश आबनावे ने लगाया। नए कुलगुरू से स्वच्छ, पारदर्शी व गुणवत्तापूर्ण कामकाज अपेक्षा भी उन्होंने व्यक्त की।

‘नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (एनआईआरएफ) द्वारा देश भर के शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग हाल ही में जारी की गयी थी। इस सूची में पुणे विश्वविद्यालय की रैंकिंग काफी नीचे आ गई थी। पिछले दो साल में रैंकिंग में लगातार हो रहे पतन चिंताजनक है।

सख्त कदम उठाने की जरूरत 

प्रथमेश आबनावे ने आरोप लगाते हुए कहा कि अनेक चीजों में विश्वविद्यालय का व्यवस्थापन और प्रशासन कम पड़ रहा हैं। इसमें सुधार लाने के लिए सख्त कदम उठाने की  जरूरत है। अच्छे अध्यापक के साथ-साथ सभी रिक्त पदों की भर्ती होना जरूरी है। राज्य सरकार का हस्तक्षेप कम होना और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए नियोजन करना जरूरी है। आशा है कि नए कुलगुरु डॉ. सुरेश गोसावी कुछ कठोर निर्णय लेकर यह काम करेंगे।