नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने आरोप लगाया है कि लोकसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन के बहाने अराजकता फैलाने की कोशिशें फिर से शुरू हो गई हैं। आरएसएस ने साथ ही कहा कि अलगाववादी आतंकवाद ने इस आंदोलन के माध्यम से पंजाब में फिर से अपना बदसूरत सिर उठाया है। आरएसएस ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल के संदेशखालि में सैकड़ों माताओं और बहनों के खिलाफ किए गए अत्याचार ने पूरे समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।
संघ ने मणिपुर में जातीय संघर्ष पर भी चिंता जतायी और कहा कि इससे समाज के दो वर्गों- मेइती और कुकी के बीच अविश्वास पैदा हुआ जो गहरे जख्मों का कारण बना। आरएसएस ने ये टिप्पणी शुक्रवार को नागपुर में शुरू हुए संघ के वार्षिक ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ सम्मेलन में महासचिव दत्तात्रेय होसबाले द्वारा प्रस्तुत अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 में की। आरएसएस को केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का वैचारिक मार्गदर्शक माना जाता है। राष्ट्रीय दृश्य’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के आखिरी हिस्से में देश में विभिन्न घटनाओं और घटनाक्रमों के बारे में बात की गई है।
इसमें कहा गया है कि वर्ष 2024 को उत्तर प्रदेश में अयोध्या के भव्य मंदिर में श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के स्वर्ण वर्ष के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 22 जनवरी, 2024 को आयोजित ऐतिहासिक कार्यक्रम कई सदियों से दुनिया भर के लाखों-करोड़ों हिंदुओं के सपनों और संकल्प को साकार करने वाला है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सभी महान और पवित्र गुणों के सभ्यतागत प्रतीक हैं और श्री राम मंदिर राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है।
आरएसएस ने किसान आंदोलन पर कहा कि पंजाब में अलगाववादी आतंकवाद ने फिर से अपना बदसूरत सिर उठाया है। लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले किसान आंदोलन के बहाने खासकर पंजाब में अराजकता फैलाने की कोशिशें फिर से शुरू कर दी गई हैं। हजारों किसानों ने 13 फरवरी को अपनी मांगों, विशेष रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करना शुरू कर दिया था। किसानों के ‘दिल्ली मार्च’ को रोकने के लिए दिल्ली की तीन सीमाओं – सिंघू, टिकरी और गाजीपुर – में अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती देखी गई है।
सैकड़ों किसान पिछले एक महीने से अब भी पंजाब-हरियाणा सीमा पर बैठे हुए हैं। ‘दिल्ली चलो’ मार्च उत्तरी राज्यों पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा शुरू किए गए लगातार विरोध प्रदर्शन और सड़क नाकेबंदी का दूसरा दौर है। रिपोर्ट में आरएसएस ने संदेशखालि घटना का भी उल्लेख किया है। उसने कहा कि पश्चिम बंगाल के संदेशखालि में सैकड़ों माताओं-बहनों, खासकर अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय की माताओं-बहनों पर हुए अत्याचार की घटना ने पूरे समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती कि ऐसी घटनाएं स्वतंत्र भारत के किसी हिस्से में वर्षों से होती आ रही हैं।
इसमें कहा गया है कि इससे भी अधिक घृणित बात यह है कि दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा देने के बजाय, पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें बचाने का प्रयास किया। सभी दलों को अपने राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के मुद्दे पर सर्वसम्मति से कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि कोई भी भविष्य में ऐसा अपराध करने के बारे में सोच भी नहीं सके।
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के एक गांव संदेशखालि में लगभग एक महीने से राजनीतिक हंगामा देखा जा रहा है और वहां तृणमूल कांग्रेस (TMC) के स्थानीय नेता शाहजहां शेख के खिलाफ कई महिलाओं द्वारा यौन शोषण के आरोपों को लेकर अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।