State Backward Classes Commission, Chairman, Anand Nirgude, resignation, government interference

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  • कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप के कारण इस्तीफा देने की चर्चा
  • आयोग के तीन सदस्य पहले ही छोड़ चुके है पद

पुणे: राज्य सरकार और प्रशासन का आयोग के कामकाज में हस्तक्षेप और दबाव सहित विभिन्न कारणों से महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (State Backward Classes Commission) के तीन सदस्यों ने हाल ही में इस्तीफा (Resignation) दे दिया था। अब इसमें आयोग के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश आनंद निरगुडे (Anand Nirgude) भी जुड़ गए है। आयोग के अध्यक्ष निरगुडे ने अपना इस्तीफा राज्य सरकार को सौंप दिया है। राज्य सरकार ने भी इसे स्वीकार कर लिया है। आयोग के अध्यक्ष के रूप में निरगुडे का कार्यकाल फरवरी 2024 तक था। हालांकि, उससे पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। निरगुडे  के इस्तीफे पर विपक्ष के साथ सरकार के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने भी सवाल उठाया है। 

राज्य सरकार ने मराठा समुदाय का पिछड़ापन सिद्ध करने के लिए मराठा समुदाय का सर्वे कराने का आदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को दिया था। हालांकि, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए, सभी जातियों का सर्वे कराने की मांग की थी। हालांकि, राज्य सरकार ने केवल मराठा समुदाय का सर्वे कराने को कहा है। इसके विरोध में आयोग के सदस्य थे। लेकिन, अब राज्य सरकार का विरोध करने के कारण आयोग के तत्कालीन सदस्य एड. बी. एस. किल्लारीकर, प्रा. लक्ष्मण हाके समेत अन्य एक सदस्य को राज्य सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ऐसा आरोप सदस्यों ने लगाया है। 

मराठा आरक्षण का मुद्दा गर्म
इस बीच, एक तरफ राज्य में मराठा आरक्षण का मुद्दा गर्म है, वहीं इसमें अहम भूमिका निभाने वाले राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों के इस्तीफे का दौर जारी है। इसे देखते हुए आयोग के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश आनंद निरगुडे भी इस्तीफा देंगे, ऐसी चर्चा पिछले कुछ दिनों से चल रही थी। आखिरकार उन्होंने राज्य सरकार को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। निरगुडे द्वारा नागपुर में चल रहे विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान इस्तीफा देने के कारण हलचल मच गई है। इस बीच, निरगुडे का इस्तीफा ओबीसी मंत्रालय के अपर सचिव नरेंद्र आहेर ने स्वीकार कर लिया है। 

शपथपत्र देने से राज्य के महाधिवक्ता का इनकार
ओबीसी आरक्षण को रद्द किया जाए, इस संबंधी हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस मामले में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को पक्षकार बनाया गया है। एक वर्ष पूर्व आयोग के सभी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से एक शपथ पत्र तैयार किया गया था। हालांकि, राज्य के महाधिवक्ता शपथ पत्र देने से इनकार कर रहे है। यह गंभीर आरोप प्रा.लक्ष्मण हाके ने लगाया है। 

भुजबल ने लिया आड़े हांथ  
ओबीसी आयोग के अध्यक्ष के इस्तीफे पर कैबिनेट मंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। भुजबल ने कहा कि अध्यक्ष के साथ तीन-चार सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में सरकार के दबाव की चर्चा लाजिमी है। 

भंग हो सकता है, पिछड़ा आयोग
इस बीच चर्चा चल रही है कि क्या ओबीसी आयोग के अध्यक्ष के इस्तीफे से पिछड़ा वर्ग आयोग भंग हो जाएगा। फिलहाल नागपुर में विधानमंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा है और सत्र में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा होने की उम्मीद थी। इसके पहले ही अध्यक्ष के इस्तीफे से बवाल बढ़ गया है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग से कुछ ठोस उम्मीद थी, जिससे मराठा समुदाय को आरक्षण देने में मदद मिलती। मराठा आरक्षण के लिए 24 दिसंबर की डेडलाइन भी नजदीक आ रही है। साथ ही मराठा आरक्षण के मुद्दे पर क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई अभी लंबित है।