File Pic
File Pic

Loading

नवी मुंबई: तलोजा एमआईडीसी परिसर में पानी की किल्लत के कारण कंपनी के मालिक भी काफी परेशान है उनका कहना है कि बिना पानी के औद्योगिक कारखाने कैसे चलेंगे ? यदि इसी तरह से पानी का संकट बना रहा तो वह दिन दूर नहीं जब औद्योगिक कंपनियों को बंद करने की नौबत आ जाएगी। इसी समस्या को लेकर तलोजा एमआईडीसी एसोसिएशन से जुड़े लगभग 25 कंपनी मालिकों ने तलोजा स्थित महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (एमआईडीसी) के कार्यालय एमआईडीसी अधिकारीयों से मिलने के लिए गए थे। नाराज व्यवसायियों ने एमआईडीसी अधिकारियों से मुलाकात की और कहा कि ‘बिना पानी के उद्योग आखिर कैसे चलेंगे’। पानी का टैंकर खरीदकर उद्योग चलाना मुश्किल हो गया है, पानी के टैंकर की कीमत भी मनमाने तरीके से वसूल की जा रही है जिसे वहन करना मुश्किल हो रहा है। इस समस्या का निराकरण किया जाना चाहिए।

350 से ज्यादा केमिकल फैक्ट्रियों को 53 लाख लीटर पानी की जरूरत 

उल्लेखनीय है कि तलोजा एमआईडीसी क्षेत्र में 350 से ज्यादा केमिकल फैक्ट्रियों को 53 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है। तलोजा एमआईडीसी परिसर में कंपनियों को जलापूर्ति बारवी डेम से की जाती है। कंपनी मालिकों का कहना है कि पिछले दो साल से उद्यमियों को पानी की सप्लाई ठीक से नहीं की जा रही है जरुरत के मुताबिक उन्हें पानी नहीं मिल प् रहा है जिससे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जानकारी के अनुसार  तलोजा एमआईडीसी को  53 एमएलडी पानी की आवश्यकता होती है लेकिन उसे केवल 38 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है। तलोजा एमआईडीसी एसोसिएशन के  कोषाध्यक्ष दिलीप परुलेकर ने बताया पानी नहीं मिलने की वजह से इसका असर व्यापार भी पड़ रहा है। 

उद्योगों को पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं दी जाती

तलोजा एमआईडीसी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और दीपक फर्टिलाइजर्स कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी जयश्री कटकर ने भी एमआईडीसी के अधिकारियों से सवाल उठाया कि जब सरकार की पानी को लेकर नीति साफ़ है तो तलोजा में उद्योगों को पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं दी जाती हैं। टीएमए के अध्यक्ष शेखर श्रंगारे ने पहले कहा था कि तलोजा को बारवी बांध से उचित पानी की आपूर्ति हो रही है। इसके लिए डैम में 53 एमएलडी पानी का स्टोरेज आरक्षित किया गया था। लेकिन उद्योगों का पानी दूसरी जगहों पर क्यों दिया जाता है। कंपनी मालिकों का कहना था कि पानी के टैंकर खरीद कर उद्योग चलाना अव्यावहारिक है और इससे उद्योग बंद हो जायेंगे, सरकार के विभिन्न टैक्स और श्रमिकों के वेतन का भुगतान उद्यमी कैसे कर सकते हैं। हालांकि इस संबंध में एमआईडीसी के अधिकारियों से संपर्क किया गया, लेकिन अधिकारीयों से संपर्क नहीं हो पाया।