उल्हासनगर महानगरपालिका के खिलाफ ठेकेदारों का प्रदर्शन, जानें क्या है वजह

    Loading

    उल्हासनगर : तीन विधायकों के विरोध के बावजूद स्थानीय महानगरपालिका द्वारा पानी की पाइप लाइन (Pipeline) की रिपेयरिंग का ठेका (Contract) जो शुरू में 10 करोड़ का निश्चित हुआ था। वह बाद में 25 करोड़ तक पहुंच गया था और अब उसी काम को पूरे पांच साल तक एक ही ठेकेदार को 88 करोड़ में देने की तैयारी चल रही है। महानगरपालिका प्रशासन (Municipal Administration) के ऊक्त फैसले का विरोध शुरू हो गया है और दर्जनों छोटे ठेकेदारों (Contractors) ने सोमवार से महानगरपालिका मुख्यालय के सामने अनशन शुरू कर दिया है। 

    ऊक्त ठेके का उल्हासनगर विधायक कुमार आयलानी, कल्याण पुर्व के विधायक गणपत गायकवाड, मुरबाड के विधायक किसन कथोरे भी ऊक्त ठेके का विरोध कर चुके है। वहीं मनसे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी महानगरपालिका के ऊक्त निर्णय के विरोध में है। इनका कहना है कि यदि महानगरपालिका ऊक्त ठेका देने में सफल होती है तो इससे छोटे ठेकेदार बेरोजगार हो जाएंगे। करीबन 15 हजार मजदूर बेरोजगार होने के डर से 150 ठेकेदारों द्वारा उल्हासनगर महानगरपालिका मुख्यालय के सामने 26 दिसंबर से अनिश्चितकालीन श्रृंखलाबद्ध अनशन शुरू किया गया है। 

    150 ठेकेदारों की रोजी-रोटी पर गाज पड़ सकती है

    गौरतलब है कि उल्हासनगर जलवितरण विभाग द्वारा किसी एक व्यक्ति या फिर संस्था को 5 साल तक का ठेका देने की प्रक्रिया शुरू है, जबकि सरकारी जीआर कहता है कि नियोजित कार्य का 33 प्रतिशत मजूर सहकारी संस्था, 33 प्रतिशत शिक्षित बेरोजगार अभियंता और रजिस्टर्ड कॉन्ट्रेक्टर को 34 फीसदी वर्कऑर्डर दिया जाना चाहिए। महानगरपालिका मुख्यालय के खिलाफ अनशन पर बैठे अनशन कर्ताओं का कहना है कि इससे वाटर सप्लाई के 30 से 40 ठेकेदारों, शिक्षित बेरोजगार इंजीनियर और मजूर सहकारी संस्थाओं के कॉन्ट्रैक्टरों करीबन 150 ठेकेदारों की रोजी-रोटी पर गाज पड़ सकती है। ऐसा न हो।इसलिए वह हड़ताल पर बैठे है, साथ ही उक्त गंभीर मामले की गूंज विधायकों द्वारा विधानसभा में उठायी जाने की मांग ठेकेदारों द्वारा की जा रही है।