Nashik Zilla Parishad

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    नासिक : नासिक जिला परिषद (Nashik District Council) के जलसंधारण विभाग (Water Conservation Department) को आदिवासी घटक उप योजना से जिला नियोजन समिति ने 48.9 लाख रुपए का निधि देने के बाद भी प्रत्यक्ष में 2.19 करोड़ के 12 बांध कामकाज को प्रशासकीय मान्यता देने की बात सामने आई है। खर्च के निधि से डेढ़ गुण और पुनर्नियोजना के निधि से उतनी ही रकम के कामकाज को प्रशासकीय मान्यता देने का नियम है। फिर भी जिला परिषद ने नियोजन विभाग के निर्णय को दरकिनार कर निधि मे 5 गुणा कामकाज को मान्यता देने से विवाद शुरू हो गया है। नासिक जिला परिषद के जलसंधारण विभाग केा आदिवासी घटक उप योजना से 2022-23 के लिए 9.50 करोड़ रुपए का खर्च मंजूर हुआ है। इस विभाग का इस योजना के कामकाज का पिछले साल का खर्च 7.32 करोड़ रुपए है।

    इस साल नियोजन के लिए केवल 2.17 करोड़ रुपए का निधि शेष है। उसके डेढ़ गुणा यानी की 3.26 करोड़ रुपए के निधि से नियोजन करना अपेक्षित था।  इस विभाग ने आदिवासी घटक उप योजना से 28 मार्च 2022 को पुनर्नियोजना के 4.88 करोड़ रुपए के निधि से 20 कार्य को प्रशासकीय मान्यता देकर निधि मांग के लिए प्रस्ताव जिला नियोजन समिति के पास भेजा था। परंतु अर्थ संकल्पीय निधि वितरण प्रणाली से यह निधि जिला परिषद के जलसंधारण विभाग को नहीं मिला। इसलिए यह प्रशासकीय मान्यता रद्द होने की बात स्पष्ट हो गई है। इसी बीच जिला नियोजन समिति ने जलसंधारण विभाग को 9 मई 2022 को 48.90 लाख रुपए का निधि वितरित किया, लेकिन यह निधि 31 मार्च 2022 को वापस दिया गया निधि है। प्रशासकीय मान्यता मिले कार्य को इस निधि से प्रशासकीय मान्यता देने के बारे में पत्र दिया गया है। 

    प्रशासकीय मान्यता देने पर जिला परिषद को 2.22 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे

    राज्य की सत्ता में बदलाव होने के बाद दी गई स्थगिती से नियोजन ठप्प था, परंतु अब नियोजन शुरू होने से इस निधि के कार्य को प्रशासकीय मान्यता देने का मुद्दा सामने आया है। इसलिए जिला जलसंधारण अधिकारी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जिला नियोजन समिति को पत्र भेजकर इस 48.90 लाख रुपए के निधि के कार्य को प्रशासकीय मान्यता देने पर जिला परिषद को 2.22 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। साथ ही नियोज के लिए निधि शेष नहीं रहेगा। इसलिए मार्गदर्शन मंगाया गया है। 

    विवादों में फंसा नियोजन

    जलसंधारण विभाग ने 9 मई 2022 को प्राप्त हुए 48.90 लाख रुपए निधि से 2.19 करोड़ रुपए के 12 कार्य को प्रशासकीय मान्यता दी। इसके लिए पालक मंत्री से भी पूछा। परंतु केवल 48 लाख रुपए के निधि से 2.19 करोड़ यानी की 5 गुणा कार्य को प्रशासकीय मान्यता देना यह बड़ी गलती है। नियोजन विभाग के सरकारी निर्णय का उल्लंघन है। कुल मिलाकर यह नियोजन विवादों के बीच फंस गया है।