Bhiwandi city on the Verge of death, Heavy corruption in the repair permit of dilapidated buildings

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    उल्हासनगर : उल्हासनगर शहर (Ulhasnagar City) में साल 1990 से 95 के दौरान सेंकडों बिल्डिंगों (Buildings) का निर्माण (Construction) हुआ और इनमें अधिकांश बिल्डिंगे नियमों की अनदेखी कर बनाई गई थी। साथ ही निर्माण कार्य में आवश्यक सामग्री भी निम्न स्तर की इस्तेमाल की गई थी। इससे घर खरीदने वालों को दोहरा नुकसान हुआ। यानि बिल्डिंगों के गिरने, पिलर क्रेक (Pillar Crack) होने, स्लैब गिरने (Slab Falling) जैसी घटनाओं के कारण जो खुद के फ्लैटों में रहते थे। अब वह लोग बेघर होकर किराए के मकानों में रहने को मजबूर है और कमजोर बिल्डिंगों के चलते कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। आवश्यक कागजात न होने के कारण पीड़ित परिवार सरकारी मुआवजे से वंचित रहे है। इन घटनाओं के सबक लेने के बजाए कंस्ट्रक्शन व्यवसाय से जुड़े कुछ लोग अभी भी शहर के अपनो को ही चुना लगाने से नहीं चूक रहे है। अब रिस्क बेस प्लान के तहत जो निर्माण कार्य हुए है और प्रगतिपथ पर है। उनमें नियमों का उलंघन करने का मामला सामने आया है। इससे ऊक्त नियम के तहत जो काम करवा रहे है। उन लोगों में हड़कंप मच गया है। 

    आंकड़ा बढ़ भी सकता है

    प्राप्त जानकारी के अनुसार महानगरपालिका के नगररचना विभाग ने पिछले दस दिन में  रिस्क बेस प्लान के तहत शुरु निर्माण कार्य में से 63 निर्माण कार्य में कानून का उल्लंघन पाए जाने के चलते इन सभी को तत्काल प्रभाव से निर्माण कार्य को रोकने के आदेश जारी किए है। ऊक्त आंकड़ा बढ़ भी सकता है।  इससे मजबूत और नियमानुसार बनी छोटी बिल्डिंग के घरों में रहने की उम्मीद लगाए और मेहनत की कमाई के पैसे गिनने वाले शहरवासियों की उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है। कमजोर और अवैध बिल्डिंगों के कारण सेंकडो लोग कल्याण, शहाड, अंबरनाथ में शिफ्ट हो गए है और अनेक सिंधी परिवार अपना नया आशियाना कल्याण, शहाड, अंबरनाथ में तलाश रहें है। उल्हासनगर की पुरानी बिल्डिंगों के पुनर्निर्माण की फाइल नगरविकास मंत्रालय में विचाराधीन है। 

    वार्ड समिति कार्यालय को 150 और 300 वर्ग मीटर या उससे भी कम वर्ग मीटर के प्लाटों पर मध्यम और कम जोखिम के आधार पर मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है और इसी का लाभ प्रभाग कार्यालय के अधिकारियों द्वारा उठाया जा रहा है। जबकि अंतिम मंजूरी के लिए संबंधित विभाग का भी अभिप्राय लेना चाहिए। रिस्क बेस आधार पर बनने वाली बिल्डिंगों के निर्माण में अनियमितता पाए जाने का बुरा असर उसमें फ्लैट खरीदने वालों पर भी पड़ सकता है।  इसलिए जब से नोटिस जारी हुई तभी से शहर में तरह-तरह की चर्चाओं का सिलसिला शुरु हो गया है। 

    रिस्क बेस प्लान को मंजूरी देने में प्रभाग कार्यालय द्वारा अनियमितता बरती जाने की लिखित शिकायत उन्हें मिली है। उस शिकायत को गंभीरता से लिया गया है, महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. राजा दयानिधि के मार्गदर्शन में अब तक 63 निर्माण कर्ताओं को काम रोकने की नोटिस जारी की गई है। ताकि जो भी बिल्डिंग बने वह लीगल हो, नोटिस का आंकड़ा बढ़ भी सकता है। जांच में यदि कोई दोषी पाया जाता है। तो उसपर लीगल एक्शन लिया जाएगा। : (प्रकाश मुले नगर रचनाकार, उल्हासनगर महानगरपालिका)