Ulhasnagar Municipal Corporation

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    उल्हासनगर : उल्हासनगर शहर (Ulhasnagar City) में घनकचरा प्रबंधन (Solid Waste Management) की प्रक्रिया एक बार फिर विवादों में आ गई है। महानगरपालिका ने अगले 8 वर्षों के लिए शहर के कचरे का संग्रह कर उसको डंपिंग ग्राउंड (Dumping Ground) तक पहुंचाने के लिए ठेकेदार के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली है। जिसके लिए कोणार्क इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Konark Infrastructure Ltd) का चयन किया गया है। हालांकि महानगरपालिका (Municipal Corporation) के पूर्व उप महापौर जीवन इदनानी (Deputy Mayor Jeevan Idnani) ने संबंधित कंपनी पर कंपनी का चयन करते समय महानगरपालिका द्वारा कुछ नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग और निवेदन पत्र में महानगरपालिका को जो मुद्दे लिखे है। उस पर महानगरपालिका को गंभीरता से विचार करने का आग्रह भी इदनानी ने किया है। जिससे महानगरपालिका के करोड़ों रुपए व्यर्थ (Pointless) जाने से बच सके। 

    पूर्व उपमहापौर जीवन इदनानी का कहना है कि महानगरपालिका ने विभिन्न मामलों में चयनित कंपनी को जो छूट दी है। इससे महानगरपालिका को भविष्य में आर्थिक नुकसान हो सकता है। नुकसान बचाने के लिए इदनानी ने राज्य के नगर विकास सचिव और महानगरपालिका कमिश्नर को सात पन्नो का पत्र भेजा है।   इदनानी ने अपने पत्र में लिखा है, कि टेंडर फॉर्म में ठेका लेने वाली कंपनी सिंगल होनी चाहिए इसके स्पष्टआदेश है। बावजूद इसके ठेकेदार ने जॉईन्ट व्हेंचर के अनुसार ठेका लिया है। इसमें कोणार्क इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और कोणार्क एनविरो प्राइवेट है। इसी तरह भविष्य में डंपिंग ग्राउंड शहर से दूर अंबरनाथ ग्रामीण के उसाटने में बनना प्रस्तावित है, यदि आगामी कुछ सालों में ऐसा होता है तो उसका भी टेंडर में उल्लेख नहीं है, कि तब किस प्रकार से ट्रक का भाड़ा तय होगा। 

    कई शर्तो कहीं भी स्पष्ट रूप से नहीं लिखी हैं : जीवन इदानानी

    उल्हासनगर महानगरपालिका शहर स्वच्छता पर सालाना करोड़ो खर्च करती है। बावजूद इसके शहर के कई भागों में और शहर की मुख्य सड़कों पर कचरा और कचरे के ढेर देखे जा सकते है। वर्तमान में महानगरपालिका ने 2022 से 2030 तक इस प्रकार आठ वर्षों के लिए शहर में कचरा संग्रहण और उसे डंपिंग तक ले जाने के लिए निविदा प्रक्रिया की है। गौरतलब है कि कोणार्क इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी को वित्तीय वर्ष की समाप्ति से एक दिन पहले निविदा प्रक्रिया के जरिए चुना गया है। तब इस जल्दबाजी की चर्चा शहर में चर्चा का विषय बनी थी। वही हाल ही में महानगरपालिका के पूर्व उप महापौर जीवन इदानानी ने भी अब ऊक्त टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाए है। इदनानी का कहना है कि महानगरपालिका प्रशासन ने संबंधित कंपनी को ठेका देने के लिए जो नियम शर्ते निर्धारित की है। उसमें से काफी शर्तो का भंग के कही पर स्पष्ट नहीं लिखा है। इदनानी के मुताबिक कही जगह गोलमोल बातें टेंडर में दिखाई दें रही है। 

    पूर्व उप महापौर इदनानी के ऊक्त पत्र पर प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की अधिकृत भूमिका नहीं लिए जाने की जानकारी है। जब इस संदर्भ में महानगरपालिका प्रशासन के एक अधिकारी से बात की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी तक संबंधित ठेकेदार को महानगरपालिका ने काम शुरू करने के लिए आवश्यक वर्क आर्डर नहीं दिया है, रही बात ठेका देने की तो वह महानगरपालिका की महासभा और स्थायी समिति का निर्णय है।  उन्होंने कहा कि अनियमितता का आरोप लग रहा है तो जांच जरूर होगी।