Ulhasnagar Municipal Corporation

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    उल्हासनगर : उल्हासनगर महानगरपालिका (Ulhasnagar Municipal Corporation) क्षेत्र के  विकास से संबंधित विभिन्न विकास योजनाओं (Various Development Schemes) को अंतिम मान्यता दी जा सके इसलिए मंगलवार की शाम को महानगरपालिका सदन में महासभा का आयोजन किया गया था। इस सभा में अन्य मुद्दों के साथ ही महानगरपालिका क्षेत्र में अवैध निर्माण के तौर पर बने घरों, दुकानों पर जो तीन गुना प्रॉपर्टी टैक्स (Property Tax) लिया जाता था अब इस प्रथा को रद्द करने का ऐतिहासिक निर्णय महानगरपालिका के नगरसेवकों ने राज्य सरकार के जीआर के अनुसार लिया।

    शहरवासियों के लिए यह एक बड़ी राहत है। महानगरपालिका में सत्तारूढ़ शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस, महाविकास आघाडी (Shiv Sena, NCP, Congress, Mahavikas Aghadi) ने उक्त विषय को उपस्थित किया था और बताया था कि किस तरह प्रशासन की ज्यादती का गरीब शिकार हो रहे है। इस विषय को सदन में सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया गया। 

    इसी तरह महानगरपालिका के जलापूर्ति विभाग की वसूली के लिए प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली की तर्ज पर 1 से 15 अप्रैल इस तरह 15 दिन के लिए अभय योजना शुरू करने का महत्त्वपूर्ण निर्णय भी सर्वसम्मति से लिया गया। जानकारी के मुताबिक महानगरपालिका के मौजूदा नगरसेवकों का कार्यकाल 4 अप्रैल को पूरा होने जा रहा है, जनप्रतिनिधियों द्वारा लिए गए इस निर्णय का लाभ रजनीतिक दलों को मिल सकता है। महानगरपालिका की महापौर लीलाबाई आशान, महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. राजा दयानिधि, उप महापौर भगवान भालेराव की उपस्थित में सभा आयोजित की गई थी। इसमें शिवसेना में राजेंद्र चौधरी, साईं पार्टी के जीवन इदनानी, भाजपा के जमनु पुरसवानी, एनसीपी के भरत गंगोत्री, मनोज लासी, कांग्रेस की अंजली सालवे आदि ने भाग लिया। 

    महानगरपालिका ही पानी के बिल वसूल करने लगी

    सभा में महानगरपालिका की  स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन दीपक सिरवानी ने  पानी के बिलों का मुद्दा विशेष तौर पर उपस्थित करते हुए कहा कि पहले जलापूर्ति महकमे द्वारा पानी के बिल स्वीकारें जाते थे लेकिन साल 2005 से मनपा द्वारा पानी आपूर्ति की जाने लगी और महानगरपालिका ही पानी के बिल वसूल करने लगी। पहले हर दो महीने बिल आने पर लोग भर देते थे लेकिन जब से गृहकर के साथ इसकी वसूली शुरू की गई तो लोग प्रॉपर्टी टैक्स की तरह इसको भरने में आलस्य करने लगे नतीजा यह निकला कि आज इस विभाग का लगभग 50 करोड़ रुपए बकाया हो गया है। इसलिए प्रशासन की उदासीनता के कारण पानी के कनेक्शन धारक परेशान है। इसलिए लोगों व दुकानदारों पर लगाया गया ब्याज व दंड को माफ किया जाए। सदन में  भाजपा और आरपीआई के जो सदस्य स्टैंडिंग कमिटी है उन्होंने भी इस मुद्दे को उपस्थित किया।