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उल्हासनगर : उल्हासनगर शहर (Ulhasnagar City) में धोखादायक बिल्डिंगों की गिरने की घटनाओं में पचासों परिवार अचानक बेघर हो जाते है। ऐसे निवासियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए महानगरपालिका प्रशासन (Municipal Administration) के पास कोई विकल्प नहीं है। इसलिए ऐसी आपदाओं के दौरान शहर के नागरिकों को वैकल्पिक आश्रय प्रदान करने के लिए उल्हासनगर महानगरपालिका क्षेत्र में एक ट्रांजिट कैंप (Transit Camp) स्थापित किया जाएगा। जिसमें 12 भवनों में 270 फ्लैट बनाने का प्रस्ताव है और इस पर 20 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है। 

उल्हासनगर महानगरपालिका की मांग के बाद जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ऐसा प्रस्ताव राज्य सरकार को सौंपा है। उल्हासनगर शहर में घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग करके बीस से 25 साल पहले सैकड़ों बिल्डिंगे बनाई गई है और उल्हासनगर महानगरपालिका द्वारा की गई कार्रवाई के बाद भी लोग उन बिल्डिंगों में रहने गए है। किसी संरचनात्मक रिपोर्ट के पुन: उपयोग किए जाने वाले भवन खतरनाक स्थिति में है। इन इमारतों की संख्या काफी ज्यादा है और पिछले कुछ सालों में इन इमारतों के गिरने की घटनाएं भी सामने आई हैं। इन इमारतों में कई निर्दोष नागरिकों की जाने जा चुकी है। किसी इमारत के गिरने के बाद उस इमारत में रहने वाले कई परिवार अचानक बेघर हो जाते हैं। इनमें से ज्यादातर अपने करीबी रिश्तेदारों के यहां शरण लेते हैं। जिनके पास ऐसी व्यवस्था नहीं है वे उल्हासनगर शहर के आश्रमों या दरबारों में शरण लेते देखे गए है। 

उल्हासनगर महानगरपालिका के पास ऐसे बेघर नागरिकों के लिए आवास उपलब्ध कराने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए कल्याण लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे ने उल्हासनगर महानगरपालिका और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से मांग की थी। उसके बाद स्थानीय महानगरपालिका ने अपना विस्तृत प्रस्ताव जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सौंपा। इसके लिए 20 करोड़ की जरूरत थी। यह प्रस्ताव जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राज्य सरकार को सौंपा था, उल्हासनगर महानगरपालिका प्रशासन ने बताया है कि अब इसे मंजूरी मिल गई है। 

12 भवन 270 फ्लैट

यह ट्रांजिट कैंप उल्हासनगर के कैंप 1 इलाके के मछली बाजार के पास वाल्मीकि नगर में बनाए जाएंगे। इसमें 12 भवन प्रस्तावित हैं जिनमें 270 फ्लैट बनेंगे। यह ट्रांजिट कैंप आपदाओं के दौरान और खतरनाक इमारत गिरने की घटनाओं के बाद भी फायदेमंद होगा जो शहर की सबसे बड़ी समस्या है।