सीएम एकनाथ शिंदे के ठाणे जिले के इन आदिवासी इलाकों में नहीं है मूलभूत सुविधाएं, पढ़ें पूरी खबर

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    कल्याण : राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) के ठाणे जिले (Thane District) में आज भी अधिकांश आदिवासी गांवों (Tribal Villages) में आने-जाने के लिए सड़कें नहीं हैं। अब एक बार फिर ऐसा ही मामला सामने आया है। एक आदिवासी महिला को प्रसव के लिए अपने रिश्तेदारों से करीब 4 किमी की दूरी पैदल चलकर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा  सड़क नहीं होने से आदिवासी मरीजों को भारी परेशानी होती है। चौंकाने वाली बात यह है कि एक गर्भवती महिला को जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक पार करने के बाद परिजनों ने उसे कपड़े की झोली यानी बैग में भरकर अस्पताल पहुंचाया। जन्म देने वाली माता का नाम मीना देवराम झुमरे (उम्र 27) है।  नागरिकों द्वारा सवाल उठाया जा रहा है कि क्या प्रशासन जल्द जागेगा। 

    मीना झुमरे अपने परिवार के साथ शाहपुर तालुक के कसारा गांव से साढ़े तीन किलोमीटर दूर रद्यचा पाड़ा में रहती हैं। मंगलवार की सुबह दर्द होने पर परिजन उसे अस्पताल ले गए। लेकिन सड़क नहीं होने के कारण परिजन उसे चादर के थैले में कंधे पर लटकाकर जंगल और कीचड़ में पैदल चलकर कसारा के सरकारी अस्पताल ले गए। स्थानीय ग्रामीण गणेश ठाकुर ने कहा कि चिंताजनक बात यह है कि महिला और उसके नवजात बच्चे की जान बचाने के लिए उसके परिवार ने अपने रिश्तेदारों के साथ अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पताल पहुंचने के लिए 4 से 5 रेलवे ट्रैक को पार किया। 

    सड़कों की कमी से कई लोगों की जान गई 

    ठाणे जिले के अकेले शाहपुर तालुका में करीब 65 आदिवासी गांवों में आने-जाने के लिए सड़क नहीं है। इसी वजह से पिछले कुछ वर्षों से श्रमजीवी संगठन ने कई आंदोलन और अनशन किए हैं। लेकिन प्रशासन मांग पर ध्यान नहीं दे रहा है। श्रमजीवी संगठन के शाहपुर तालुका सचिव प्रकाश खोड़का ने जानकारी देते हुए कहा कि सड़कों की कमी के कारण कई लोगों की जान चली गई है। खास बात यह है कि 14 सितंबर को दोपहर के करीब श्रमजीवी संगठन की ओर से तहसील कार्यालय में सरकार के खिलाफ विरोध डोली मोर्चा निकाला गया।