उद्धव ठाकरे का एकनाथ शिंदे पर हमला, कहा- अगर कुछ था तो मेरे सामने बोलना था सूरत जाने की क्या जरुरत

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    मुंबई: शिवसेना में शुरू टूट के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जनता को संबोधित किया। उन्होंने फेसबुक के माध्यम से अपनी बात शिव सेना के कार्यकर्ताओं के सामने रखी। इस दौरान मुख्यमंत्री बागी नेता एकनाथ शिंदे पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि, जो भी बोलना था तो मेरे सामने बोलो। सूरत जाकर बोलने की क्या जरुरत थी? उन्होंने कहा कि, अगर बागी विधायकों में से कोई भी आकर मेरे सामने आकर कहे मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।” इसी के साथ उन्होंने बागियों से उन्हें धोखा नहीं देने को कहा है। 

    शिवसेना और हिंदुत्व आपस में मिले हुए

    उद्धव ने शिवसैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि, “शिवसेना बोलोगे तो शिवसेना और हिंदुत्व आपस में मिले हुए हैं। शिवसेना हिंदुत्व और हिंदुत्व शिवसेना से अलग नहीं हो सकता। हिंदुत्व हमारी सांस है और यह बात बाबासाहब ने कही थी। हमने हिंदुत्व के लिए क्या-क्या किया है, यह भी बताने का यह समय नहीं है। हिंदुत्व के संबंध में विधानसभा में बोलने वाला मैं पहला मुख्यमंत्री हूं। कुछ लोग कह रहे हैं कि यह बालासाहेब की शिवसेना नहीं है। मैंने ऐसा क्या किया, जो यह सवाल उठ रहे हैं। 2012 में बालासाहेब का निधन हुआ। 2014 में हम अकेले चुनाव लड़े। तब भी हमने जो चुनाव लड़ा था, उस समय 63 विधायक जीतकर आए। उस समय भी हम हिंदू थे, अब भी हिंदू हैं।

    मैं जिद के साथ काम करने उतरा था: ठाकरे

    उन्होंने कहा कि, “मुझे अनुभव नहीं था। मैं जिद करने वाला आदमी हूं। अनुभव नहीं भी हो तो मैं जिद के साथ काम करने उतरा था। मैंने बालासाहब ठाकरे को वचन दिया था। उसके बाद जो भी कुछ हुआ, वह सबको पता है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी के साथ जाने का निर्णय हुआ। पवार ने मुझसे कहा था कि जवाबदारी आपको लेनी होगी। कांग्रेस और एनसीपी के बड़े नेता हैं लेकिन जिम्मेदारी आप नहीं लोगे तो सरकार चला नहीं सकेंगे। पवार साहब, सोनिया जी ने मुझ पर विश्वास किया। उनके भी अक्सर फोन आते रहते हैं।”

    उन्होंने आगे कहा कि, “जिसके पास कोई अनुभव नहीं है, उसे इस तरह की जिम्मेदारी देना बड़ी जिम्मेदारी थी। महाड़ से महाबलेश्वर जाने के बीच इतने मोड़ है कि राजनीति में तो उससे भी ज्यादा घुमाव है। प्रशासन ने भी मुझे सहयोग किया है। मुझे दुख किस बात का है, धक्का लगा है कि कांग्रेस-एनसीपी बोलते हैं कि उद्धव सीएम नहीं चाहिए तो समझ में आता है, पर आज सुबह कमलनाथ, शरद पवार ने मुझे फोन किया।”

    मैं सीएम पद छोड़ने को तैयार: उद्धव

    सीएम उद्धव ने कहा कि, “अगर मेरे ही लोगों को मैं मुख्यमंत्री नहीं चाहिए हैं तो क्या करूं? मुझे नहीं पता कि वे लोग मुझे अपना मानते ही कि नहीं। उन्हें मेरे सामने आना चाहिए था। आप मुख्यमंत्री पद नहीं संभाल सकते। आपको मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहिए। एक भी व्यक्ति सामने आकर कहते हैं कि मुख्यमंत्री पद से हट जाओ, मैं हट जाऊंगा… मैं शिवसेना प्रमुख का बेटा हूं, किसी भी तरह का मोह मुझे रोक नहीं सकता।”

    शिवसेना प्रमुख का पद भी छोड़ने को तैयार

    ठाकरे ने कहा कि, “आप लोग कह रहे हो कि यह असली शिवसेना नहीं है। पर आप लोग आकर बोलिए, मैं अपना ठिकाना वर्षा (मुख्यमंत्री निवास) से हटा रहा हूं। जो ऐसा कर रहे हो, उससे किसका नुकसान कर रहे हो? उन्हें इसे महसूस करना चाहिए। मेरा इस्तीफा तैयार है। जो विधायक गायब हैं या जिन्हें गायब किया गया है। वे आए और मेरा इस्तीफा लेकर जाए। अगर कोश्यारी बोलेंगे तो मैं भी वहां जाने को तैयार हूं। कोई मजबूरी नहीं है। कोई लाचारी नहीं है। मैं चुनौतियों का सामना करने को तैयार हूं। मुख्यमंत्री पद के लिए जो मैं बोल रहा हूं, वह शिवसैनिकों के लिए भी बोल रहा हूं। जिन लोगों को लग रहा है कि मैं शिवसेना पक्ष प्रमुख के लायक नहीं हूं, तो मैं यह कुर्सी भी छोड़ दूंगा। संकट के सामना करने के लिए है। मैं दोनों पद छोड़ने को तैयार हूं।  शिवसेना का कोई और नेता मुख्यमंत्री बनता है तो वह भी अच्छा लगेगा।”

    यह मेरा नाटक नहीं

    उन्होंने कहा कि, “यह मेरा नाटक नहीं है। मुझे यह कहना है कि संख्या किसके पास कितनी है, यह गौण है। लोकशाही के पास जिसके पास संख्या अधिक है, वह जीतता है। मुझे कितने लोग वहां गए… एक ने भी मेरे खिलाफ वोट दिया तो मैं शर्मिंदगी महसूस करूंगा। मेरे प्रति किसी ने भी अविश्वसा जताया, तो यह मेरे लिए सही नहीं होगा।”