केंद्र OBC का इम्पिरिकल डाटा दे, कांग्रेस का ओबीसी विभाग आक्रामक, आंदोलन करने की दी चेतावनी

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    वर्धा. सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी का स्थानीय स्वराज्य संस्था का आरक्षण रद्द किया था़ उक्त निर्णय का पुनर्विचार करने की राज्य सरकार की याचिका न्यायालय ने ठुकराई है़ ओबीसी का स्थानीय स्वराज्य संस्था का आरक्षण कायम रखने राज्य सरकार ने अध्यादेश निकाला था़  किंतु उक्त अध्यादेश को स्थगिती दी है.

    केंद्र सरकार ओबीसी का इम्पिरिकल डाटा तुरंत राज्य सरकार की ओर सौंपे अन्यथा तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी कांग्रेस के ओबीसी विभाग की ओर से की है़  वर्ष 2010 में डा़ कृष्णमूर्ति बनाम बारत सरकार सरकार केस में न्यायालय ने ओबीसी को स्थानीय स्वराज्य संस्था में आरक्षण देते हुए ट्रिपल टेस्ट कर वैद्यानिक दृष्टिकोण से उचित रूप से आरक्षण देने का आदेश दिया था़  इसके लिए राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा आयोग का चयन भी किया.

    आयोग को चार सौ करोड़ रुपयों की जरूरत थी लेकिन वित्त मंत्री ने नहीं दिए़ स्थानीय स्वराज्य संस्था का ओबीसी आरक्षण कोर्ट ने इन्कार नहीं किया है़ कानूनी व तकनिकी बाते ध्यान में रखकर आरक्षण दे, ऐसा आदेश दिया था़ किंतु, तकनिकी प्रावधान नहीं होने से ओबीसी आरक्षण समाप्त हो गया है.  

    सरकार कर रही अनदेखी

    1931 के बाद देश में जातिनिहाय जनगणना नहीं हुई़  मनमोहन सिंह सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर जनगणना की थी़  लेकिन जिसकी आंकड़ेवारी राज्य सरकार को नहीं दी गई़ न्यायालय ने समय-समय पर सरकार को जातिनिहाय जनगणना करने को कहने के बावजूद ध्यान न देकर ओबीसी समाज पर अन्याय किया है, इस आशय का निवेदन कांग्रेस ओबीसी जिलाध्यक्ष विभाग जिलाध्यक्ष अमित शेंडे के नेतृत्व में जिलाधिकारी को दिया़ इस प्रसंग पर प्रदेश सरचिटणीस, पुरूषोत्तम खासबागे, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रफुल्ल गुल्हाने, जिलाध्यक्ष मनोज चांदुरकर, तहसील अध्यक्ष बाला जगताप, शहर अध्यक्ष सुधिर पांगुल, कार्याध्यक्ष बाला माऊस्कर व सभी कांग्रेस कमिटी के नेता, पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे.