Shiv Sena
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  • शिवसेना का अस्तित्व कैसा होगा, जिले में कयास लगाने का दौर शुरू

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वर्धा. एकनाथ शिंदे के बगावत के कारण राज्य की राजनीति में भूकंप आ गया है.  राज्य के कुछ इलाकों में भले ही शिवसैनिक उद्धव ठाकरे के समर्थन में सड़क पर उतर रहे हैं, किंतु जिले की शिवसेना में सन्नाटा पसरा है. बीते दो दिनों से शिवसेना पदाधिकारियों व शिवसैनिकों ने चुप्पी साधकर रखी है. अब शहर व गांवों तक शिवसेना के अस्तित्व को लेकर तरह-तरह का कयास लगाए जा रहे हैं.

महाविकास आघाड़ी सरकार पर ग्रहण

विधानपरिषद चुनाव के बाद राज्य के नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने बागी रुख अपनाते हुए महाविकास आघाडी सरकार के अस्तित्व पर ग्रहण लगा दिया. राज्य की सत्ता कभी भी जा सकती है. यह देखकर मुख्यमंत्री व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने वर्षा निवासस्थान छोड़ने का फैसला किया है. इसके पूर्व ठाकरे ने फेसबुक के माध्यम से जनता के साथ बागी व  शिवसैनिकों से संवाद साधा. ठाकरे के समर्थन में मुंबई के साथ ही अन्य जगह के शिवसैनिक सड़क पर उतरकर उन्हें लड़ने का भरोसा देने लगे. 

फ्लाइट मोड में शिवसेना के नेता

एक ओर राज्य का शिवसैनिक अपने नेता के समर्थन में खड़ा हुआ तो दूसरी और जिले के शिवसेना के नेता फ्लाइट मोड़ पर चले गये हैं. बीते 3 दिन से चल रहे घटनाक्रम पर स्थानीय नेता व शिवसैनिकों ने चुप्पी साधने के कारण जिले में पार्टी अस्तिव में है या नहीं, ऐसा प्रश्न निर्माण हुआ है. 

बीते 7 वर्ष से शिवसेना जिले में कमजोर

बीते 7 वर्ष से शिवसेना जिले में काफी कमजोर हुई है. शिवसेना को जिले में मजबूत करनेवाले शिलेदार भी आज पार्टी में नहीं रहे हैं. जिले की शिवसेना संपर्क प्रमुखों के इशारे पर चलने वाली सेना बन गई है. एकनाथ शिंदे ने पार्टी के कामकाज पर जो आरोप लगाए हैं, वह सच होने की बात भी कुछ पुराने शिवसैनिक कह रहे हैं. बीते कुछ वर्षों में पार्टी में पुराने पदाधिकारियों को कोई तवज्जों नहीं दिया जा रहा था. पार्टी के पद भी बांटते समय आर्थिक आधार देखकर दिया जाता था, ऐसा आरोप भी लगाया जा रहा है. ऐसी परिस्थिति निर्माण होने के लिये पार्टी नेतृत्व जिम्मेदार होने की बात कही जा रही है. जिस कारण ही इस विवाद में कोई कूदने के लिये तैयार नहीं है. 

सोशल मीडिया पर भी समर्थन नहीं

शिवसेना में एक समय था कि ठाकरे परिवार के खिलाफ कोई टिप्पणी करे तो शिवसैनिक सड़क पर उतरकर हुड़दंग करते थे. आज उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ रही है. इसके बावजूद भी कोई शिवसैनिक उनके समर्थन में सड़क पर नहीं उतरता दिख रहा है. सोशल मीडिया पर भी शिवसैनिक कोई पोस्ट डालने से बच रहे हैं. ऐसा लग रहा कि, जिले की राजनीति में शिवसेना है या नहीं.