Collector Prerna Deshbhratar

  • मौसमी कीटजन्य रोगों का खतरा बढ़ा

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वर्धा. जुलाई माह से सभी स्कूल शुरू हुए है. स्कूलों में हर एक विद्यार्थियों को कीटजन्य बीमारियों की जानकारी होना आवश्यक है. जिससे स्कूलों के शिक्षकों ने डेंगू मच्छर, इल्ली आदि के संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग के सहकार्य से स्वास्थ्य विषयक उपक्रम चलाकर विद्यार्थियों में कीटजन्य बीमारियों के विषय में जनजागृति करने का आह्वान जिलाधिकारी प्रेरणा देशभ्रतार ने किया. 

इन रोगों का संक्रमण अधिक

राष्ट्रीय कीटजन्य रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत हाथीरोग, मलेरिया, जेई, डेंगू, चिकुनगुनिया जैसी बीमारी होती है. उनमें से डेंगू यह कीटजन्य बीमारी होकर एडीस अजिप्टाय इस दूषित मच्छरों के मादी के काटने से होती है. यह मच्छर दिन में कांटता है तथा स्वच्छ पानी में अंडी देता है. जिसमें प्रमुख रुप डेंगू मच्छर कांटने पर तेज बुखार, आंखों में दर्द, बदनदर्द, उलटियां होना, कमजोरी, भूख न लगना, अधिक प्यास लगना, मुंह सूखना, बुखार कम ज्यादा होना ऐसे लक्षण हैं.

बीमारी के लक्षण दिखाई पर जांच कराएं

ऐसी लक्षन दिखायी देने पर तुरंत अस्पताल में जाकर जांच कराएं व उपचार लें. स्कूल में विद्यार्थी 7 से 8 घंटे उपस्थित रहते हैं. डेंगू मच्छर की मादी दिन में काटती है. जिससे स्कूलों में कीटजन्य बीमारी संदर्भ में जनजागृति होना आवश्यक है. जिसके लिए हर एक स्कूल में विद्यार्थियों को कीटजन्य बीमारी नियंत्रण के संदर्भ में जानकारी दें. 

करें विविध उपाययोजना

स्कूलों के कमरों में रोशनी की व्यवस्था करें. खिड़कियों में जाली लगाए. स्कूल के शौचालय को वेंट पाइप की जाली लगाएं. नलों की दुरुस्ती करें, छतों पर कबाड़ होने पर बंदोबस्त करें. स्कूल में नीलगिरी, लेमनग्रास के पौधे लगाएं. आश्रमस्कूल में मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. ऐसे प्रभावी उपाययोजना से कीटजन्य बीमारी पर नियंत्रण लाना संभव होगा, ऐसी जानकारी जिलाधिकारी प्रेरणा देशभ्रतार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा सचिन ओम्बासे, जिला मलेरिया अधिकारी ने दी.