Cotton Price
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हिंगनघाट. कपास उत्पादक किसानों पर संकट रूकने का नाम नहीं ले रहा है़ इस वर्ष कपास ने तो किसानों को रुला दिया है़ उम्मीद के अनुसार दाम न मिलने से किसान आर्थिक संकट से घिर गया है़ दाम बढ़ने की उम्मीद से किसानों ने कपास अपने घरों में भरकर रखा़  परंतु गत सप्ताह 15 से 20 मई तक निरंतर कपास का मूल्य घटते गया़  इससे जिले का किसान निराश होकर आर्थिक रूप से टूट गया है़.

बता दें कि मई माह की 15 तारीख को कपास का दाम 7640 रु़  प्रति क्विंटल, 16 मई को 7680 रु़ , 17 को 7600 रु़ ,18 को 7675 रु़ , 19 मई 7590 रु़ व 20 मई को 7560 रु़  प्रति क्विंटल रहा.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल 20 मई 2022 को इस मार्केट में किसानों के कपास को 13,950 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य मिला था़ इसकी तुलना में इस बार साढ़े छह हजार रुपये प्रति क्विंटल दाम में कमी आने से कपास उत्पादक किसनों पर संकट के बादल मंडरा रहे है़ इसमें भी अगामी कुछ दिनों में कपास का मूल्य और कम होकर सात हजार रुपये प्रति क्विंटल तक घटने के आसार जताए जा रहे है़.

25 प्रश कपास किसानों के घर में पड़ा है

विशेष यह कि गत सप्ताह में छह दिनों में कुल 59,176 क्विंटल कपास की आवक होकर बिक्री का पंजीयन बाजार समिति प्रशासन ने किया है़ इतिहास में पहली बार मई माह में इतने बड़े पैमाने पर आवक हो रही है़ इसमें 15 मई को 10 हजार 470 क्विंटल, 16 मई को 9605 क्विंटल, 17 मई को 9931 क्विंटल, 18 मई को 9525 क्विंटल, 19 मई को 10526 क्विंटल, 20 मई को 9019 क्विंटल इन छह दिनों में 59 हजार 176 क्विंटल कपास की आवक बताई गई़ पिछले वर्ष 19 मई तक हिंगनघाट बाजार में 9 लाख 43 हजार 808 क्विंटल कपास की आवक थी़  इस बाद यह आवक 7 लाख 39 हजार 128 क्विंटल की हुई है़ आज भी 25 प्रश कपास किसानों के घरों में पड़ा है.

9,000 रु. प्रति क्विंटल भाव देने की मांग

मई के साथ ही जून माह में भी कपास की आवक होगी, ऐसा चित्र है़ इसमें अहम बात यह हैं कि नई खरिफ मौसम की शुरुआत व नक्षत्र की शुरुआत 7 जून से होती है़ हिंगनघाट तहसील में अनेक ग्रामीण क्षेत्र में किसान कपास की बुआई 25 मई से शुरू कर देते है़ ऐसे समय बुआई तो दूर कपास के मूल्य में इस प्रकार की मंदी किसानों को चिंतित करने वाली है़ कपास को नौ हजार रुपये भाव मिले इसलिए कपास जलाओ आंदोलन शुरू है़ परंतु सरकार को इससे कुछ लेना देना नहीं है़ पिछले छह माह से विविध राजनीतिक दल किसानों के हित में सरकार से मांग कर रहे है़ं परंतु इस ओर पूर्णत: अनदेखी हो रही है.