Maharashtra assembly
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    वर्धा. महाविकास आघाड़ी ने फिर एक बार शीतकालीन सत्र नागपुर की जगह मुंबई में लेने का निर्णय लेकर विदर्भ के साथ सौतेला व्यवहार किया है. नागपुर करार के अनुसार एक अधिवेशन विदर्भ में लेना चाहिए, परंतु राज्य सरकार विदर्भ के प्रश्नों से भाग रही है. अधिवेशन के दौरान समूचा मंत्रिमंडल व सचिवालय नागपुर में आने के कारण जनता के प्रश्न जल्द हल होते हैं, मगर सरकार को इससे कोई लेन देन नहीं है. मुंबई व पश्चिम महाराष्ट्र पर सरकार अपनी कृपा दृष्टि रख कर विदर्भ के साथ अन्याय कर रही है. सरकार अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर नागपुर में ही अधिवेशन ले, ऐसा प्रतिक्रिया जिले के विधायक तथा पूर्व विधायकों ने व्यक्त की.

    समस्या से भाग रही महाविकास आघाड़ी

    नागपुर करार के अनुसार विधान मंडल का अधिवेशन नागपुर में होना चाहिए, परंतु राज्य की सत्ताधारी महाविकास आघाड़ी सरकार बीते दो वर्ष से उसका पालन नहीं कर रही है. शीतकालीन अधिवेशन मुंबई में लेकर सरकार विदर्भ के साथ अन्याय कर रही है. सरकार ने बीते दो वर्ष किसी प्रकार का विधायक कार्य नहीं किया. विदर्भ के साथ सौतेला व्यवहार किया है. जिससे सरकार विदर्भ के मुद्दे से भाग रही है.

    -रामदास तड़स, सांसद

    विदर्भ के साथ सौतेला व्यवहार   

    महाविकास आघाड़ी सरकार सत्ता में आने के बाद से ही विदर्भ के साथ सौतला व्यवहार कर रही है. बीते दो वर्ष में विदर्भ के अनेक प्रश्न ठंडेबस्ते में पड़े हुए हैं. विदर्भ के विकास पर भी सरकार ने कैंची चलाई है. नागपुर अधिवेशन के दौरान बड़े पैमाने नागरिक मोर्चा निकालकर अपनी आवाज बुलंद करते हैं. यह प्रश्न व आवाज सरकार को सुननी नहीं है. जिस कारण सरकार मुंबई में अधिवेशन ले रही है.

    -दादाराव केचे, विधायक, आर्वी

    विदर्भ की जनता के साथ अन्याय

    सरकार ने शीतकालीन अधिवेशन नागपुर की जगह मुंबई में लिया है. इसकी मैं तीव्र आलोचना करता हूं. परंपरा व नियम के अनुसार विदर्भ में अधिवेशन लेना आवश्यक है. आमआदमी अपने प्रश्न लेकर मुंबई में नहीं जा सकता. शीतकाल अधिवेशन में विदर्भ के नागरिक अपने प्रश्न लेकर आते हैं. कोरोना काल के दौरान राज्य सरकार के मंत्री अपने कक्ष में नहीं रहने के कारण नागरिकों के अनेक प्रश्न अटके हुए हैं. नागपुर में अधिवेशन नहीं लेना यह सरकार का गलत निर्णय है.

    -डा. पंकज भोयर विधायक वर्धा

    विदर्भ की आवाज दबाने का प्रयास

    शीतकालीन अधिवेशन मुंबई में लेकर सरकारने विदर्भ की आवाज दबाने का प्रयास किया है. नागपुर अधिवेशन में विदर्भ के प्रश्नों पर चर्चा होती है. मंत्रिमंडल नागपुर में आने के कारण अनेक प्रश्न हल होते हैं, लेकिन महाविकास आघाड़ी सरकार का रवैया विदर्भ विरोधी रहा है. जिससे उन्होंने यह अधिवेशन मुंबई में लेने का निर्णय लिया है.

    -समीर कुणावार विधायक हिंगनघाट

    सरकार निर्णय का पुनर्विचार करे

    शीतकालीन अधिवेशन विदर्भ की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. अधिवशन नागपुर में होना चाहिए, सरकार ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना आवश्यक है. अधिवेशन का कार्यकाल कम रखा गया है. कम समय में जनता के प्रश्न पर विस्तृत चर्चा नहीं हो सकती. वर्तमान में कोरोना संक्रमण कंट्रोल में जिससे अधिवेशन नागपुर में ही होना चाहिए.

    -अमर काले, पूर्व विधायक कांग्रेस

    किसान, सिंचाई प्रकल्प जैसी समस्याएं लंबित

    नागपुर अधिवेशन के दौरान किसानों के प्रश्नों के साथ ही विदर्भ के प्रश्नों पर चर्चा होती है. शीतकाल अधिवेशन विदर्भ के लिये महत्वपूर्ण है. विदर्भ का बैकलॉग अभी भी दूर नहीं हुआ है. किसान, सिंचाई प्रकल्प व विदर्भ के अनेक प्रश्न आज भी प्रलंबित हैं. सरकार ने मुंबई में अधिवेशन लेकर विदर्भ के साथ अन्याय किया है.

    -राजू तिमांडे, पूर्व विधायक राकां