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    पुलगांव. मोदी सरकार की ओर से 500 व 1000 रुपये की नोटें बंद करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया था. इससे देश का भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियां पर रोक लगाने की बात सरकार का जुमला साबित हुआ. इसके बाद न ही अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगा, ना ही काला धन वापस आया. ना ही खाते में पंद्रह लाख रुपये आए, लेकिन नोटबंदी के समय आम नागरिकों को बहुत अधिक परेशानी का सामना कर शिकार होना पड़ा. उस समय सत्ता पक्ष के कई नेताओं ने नोट बदली करवा लिए.

    फिर बैंकों ने कुछ माह पश्चात नई नोट में 2,000 व 500 रुपये के नोटों को बाजार में लाए जैसे-जैसे दिन बीतने लगे धीरे-धीरे मार्केट, बैंकों से दो हजार की नोट गायब होती दिखी. पिछले करीब दो वर्षों से किसी भी बैंक से दो हजार की नोट शायद देना ही बंद हो गया. सिर्फ कभी कभार बैंक के कर्मियों के पास ही यह नोट दिखाई दे रही है. लेकिन खाताधारक को देना ही बंद हो गया. सिर्फ 500 रुपये की ही नोटों का लेनदेन हो रहा है.

    इधर 10 और 5 के पुराने नोट भी बंद जैसे हो गए हैं और बैंक से नए नोट भी नहीं मिल रहे, जिसके कारण व्यापार में कहीं-कहीं नोटों से ही काम चलाना पड़ रहा है और बैकों से पाच के सिक्कें भी नही मिल रहे है जिससे व्यापारियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. कहां खो गई यह समझ से परे है. 

    क्या बड़े लोगों की तिजोरी की शान बनी

    दूसरी ओर मार्केट में भी व्यापारियों के पास पाच सौ, दो सौ की नोट दिखाई दे रही है. लेकिन दो हजार की नोटें मिल ही नहीं रहे हैं. बैकों से दो हजार की नोट गायब होना, देश कोई आर्थिक संकट की स्थिति तो नहीं दर्शा रहा है. जनता में चर्चा है कि यह दो हजार की नोट बड़े उद्योगपतियों की तिजोरी की शान बन गयी है या नेताओं के भ्रष्टाचार की बली चढ़ गयी है. इस कारण दो हजार की नोट कहां खो गई, ऐसा सवाल जनता कर रही है.

    ATM बने शोपीस

    शहर के एटीएम चाहे कोई भी बैंकों के हों, वह माह में कई दिनों तक बंद रहते हैं और लिंक फेल का बहाना बनाकर शोपीस ही बने रहते हैं. साथ ही एटीएम से दो हजार की नोट निकलना तो शायद सालों से बंद हो गया है. इसका क्या कारण है, यह समझ से परे है, लेकिन किसी भी बैंक के अधिकारियों को यह समस्या का समाधान करना ही नहीं हो रहा है, क्या दो हजार की नोट पूरी तरह बंद हो गए? यह चर्चा का विषय बना है.