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    वाशिम. जिले में अधिक तर गांवों में हल्दी उत्पादक किसानों की संख्या में वृध्दि हुई है़  इसी तरह किसानों ने हल्दी की बुआई का क्षेत्र भी बढ़ा दिया है. एक समय था जब जिले में कुछ ही गांवों में हल्दी की फसल ली जाती थी. लेकिन अब जिले के अनेक भागों में हल्दी की बुआई की ओर किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है़  पिछले वर्ष के मौसम की हल्दी बिक्री के लिए अभी बाजार समितियों में आ रही है़ वाशिम के कृषि उपज बाजार समिति में 7 मई को हल्दी की कंडी 5,669 क्विंटल व हल्दी गटू की 2,316 क्विंटल और हल्दी कोच्या की 143 क्विंटल आवक हुई है़  

    हल्दी के दर भी अच्छे मिलने से हल्दी उत्पादक किसानों में राहत महसूस की जा रही है़  जिले में मुख्य रूप से मालेगांव, रिसोड इन तहसीलों में हल्दी बुआई क्षेत्रों में रिकार्ड वृध्दि हुई है़  खरीफ व रबी मौसम की अन्य फसलों की तुलना में रोगो का प्रमाण हल्दी पर कम रहने से जिन किसानों के पास सिचाई की सुविधा है, ऐसे किसान पिछले कुछ वर्षों से हल्दी की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे है़  आंतरफसल के रूप में भी एक सक्षम पर्याय के तौर पर किसान इस फसल से बडे प्रमाण में लाभान्वित हो रहे है़ 

    सोयाबीन की आवक धीमी

    वाशिम बाजार समिति में शनिवार को अन्य कृषि मालों की जहां आवक बढी थीं उसकी तुलना में सोयाबीन और गेहूं की आवक धीमी रही है़  सोयाबीन की आवक इस दिन केवल 1,689 क्विंटल तो गेहूं की आवक 524 क्विंटल ही हुई़  गत तीन दिनों से सोयाबीन के दरों में सुधार होकर कीमतें 7 हजार रुपये क्विंटल तक पहुंच गयी हैं. लेकिन गत 15 दिनों के पूर्व की तुलना में इन दिनों सोयाबीन की आवक 25 प्रश पर आयी है़  जिस से सोयाबीन की आवक इन दिनों धीमी हो गई है़  दरम्यान गिने चुने किसानों के पास ही सोयाबीन शेष होकर वे सोयाबीन के भाव और बढने की उम्मीद से सोयाबीन बिक्री के लिए रुकते नजर आ रहे है़