जिले में 1,200 हेक्टेयर क्षेत्र पर ग्रीष्मकालीन सोयाबीन, बीजों की कमी पर पर्याय

    Loading

    वाशिम. सोयाबीन की खेती पर बढ़ती पूंजीगत खर्च को लेकर अनेक बार चिंता व्यक्त की जाती है़ इस पर उपाय करके घर पर ही बीज तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है़  इस में से ही सोयाबीन के ग्रीष्मकालीन मौसम का प्रयोग शासकीय प्रोत्साहन से शुरू हुआ है़  इसके अंतर्गत जिले में 1,199 हेक्टेयर क्षेत्रों पर ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुआई की गई है़ 

    प्रतिवर्ष सोयाबीन बीजों की समस्या  

    गत कुछ वर्षो में सोयाबीन निकालने के समय आनेवाली बारिश के कारण सोयाबीन फसल के दर्जे में गिरावट आ रही है़  जिससे प्रतिवर्ष ही सोयाबीन के बीजों की समस्या निर्माण हो रही है़  इस वर्ष कृषि विभाग ने पहल करते हुए राज्य भर के किसानों में जागरुकता की है़  गुणवत्ताधारक घर के बीज की आवश्यकता होने पर ग्रीष्मकालीन मौसम में सोयाबीन बुआई का आहवान किया था़  इस आहवान को जिले के किसानों ने प्रतिसाद देते हुए 1,199 हेक्टेयर क्षेत्रों पर ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुआई की है.

    घर में रखे अच्छे दर्जे का सोयाबीन बीजों के लिए उपयोग करें

    गत दो तीन वर्षो से सोयाबीन फसल निकालने समय पर ही बारिश होने से सोयाबीन पानी में भीग रहा था़ जिससे इसकी गुणवत्ता भी घट रही़  इसलिए किसान इस घटती गुणवत्ता सोयाबीन को जो भाव मिलेगा उसी दरों पर बेच रहे है़  लेकिन इस दौरान फिर किसानों के सामने तब समस्या आती जब अगले सोयाबीन फसल बुआई का समय आता है़  इस अवसर पर सोयाबीन बुआई के लिए बीज कहा से लाना इसे लेकर किसानों में चिंता होने लगती है. ऐसे में कृषि विभाग उनको घर में रखे अच्छे दर्जे का सोयाबीन बीजों के लिए उपयोग करने का आहवान करते है़ 

    ग्रीष्मकालीन सोयाबीन फसल उत्पादित करने विशेष प्रयास शुरू  

    इस के अलावा ग्रीष्मकालीन सोयाबीन बुआई की संकल्पना कृषि विभाग के कुछ अधिकारियों की चर्चा में सामने आयी़  व राज्य भर के किसानों को ग्रीष्मकालीन सोयाबीन फसल उत्पादित करने के लिए विशेष प्रयास शुरू हुए़  इस में अब जिले में भी इस वर्ष 1,199 हेक्टेयर क्षेत्रों पर ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुआई की गई़  तहसीलवार में कारंजा तहसील में 95 हेक्टेयर, मंगरुलपीर तहसील में 210 हेक्टेयर, मालेगांव तहसील में 250 हेक्टेयर, रिसोड तहसील में 235 हेक्टेयर, वाशिम तहसील में 275 हेक्टेयर तथा मानोरा तहसील में 134 हेक्टेयर का समावेश है़  

    अधिक सावधानी लेने की आवश्यकता 

    ग्रीष्मकालीन मौसम के सोयाबीन यह एक नया प्रयोग है. खरीफ के मुताबिक उत्पादन अधिक नहीं होता तो बुआई से प्रत्येक चरणों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है़  फसलों की स्थिति को देखते हुए आवश्यक औषधि छिड़काव व आवश्यकता नुसार फसलों के लिए आवश्यक सिंचाई देने के लिए ध्यान देना पड़ता है़  जिससे यह प्रयोग अधिक सफल हो सकेगा़  इसमें प्रयोगिक तत्वों पर महाबीज ने भी यह उपक्रम हाथ में लिया है़  जिले में 500 एकड़ क्षेत्रों पर ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुआई हुई है़  इस फसल की स्थिति भी अच्छी है़