10 से जिला परिषद में और 13 मार्च से 16 पंचायत समितीयों में प्रशासक राज

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    यवतमाल. जिले में मिनीमंत्रालय मानी जानेवाली जिलापरिषद के वर्तमान सदस्यों और पदाधिकारीयों का पंचवार्षिक कार्यकाल आगामी 20 मार्च से समाप्त हो रहा है, जबकी जिले की यवतमाल, दारव्हा, दिग्रस, नेर, बाभुलगांव, उमरखेड,पुसद,वणी, घाटंजी, केलापुर, कलंब, रालेगांव समेत सभी 16 पंचायत समितीयों के सदस्यों का कार्यकाल आज 13 मार्च से समाप्त हो रहा है. इन पंचायत समितीयों में आगामी आमचुनावों तक पंचायत समितीयों के बीडीओ प्रशासक के तौर पर कामकाज संभालेंगे.

    जबकी 20 मार्च से जिप. में प्रशासक के तौर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.श्रीकृष्ण पांचाल काम संभालेंगे.11 मार्च को राज्य के ग्रामविकास विभाग ने राज्य में जीन जिलापरिषदों और पंचायत समितीयों का वर्तमान पंचवार्षिक कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनकी सुची जारी कर मुख्य कार्यकारी अधिकारीयों कों प्रशासक के तौर पर नियुक्त करने की अधिसुचना जारी की है.

    13 मार्च और आगामी 20 मार्च को जिलापरिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष विषय समितीयों के सदस्य, सभापतियों,और सदस्यों, पदाधिकारीयों, और पंस. के सदस्य, पदाधिकारीयों का कार्यकाल एक ही समय में समाप्त हो रहा है.आगामी चुनाव राज्य चुनाव आयोग द्वारा प्रभाग रचना, चुनाव प्रशासन की तैयारी औरओबीसी के राजनितीक आरक्षण पर अगले फैसले के बाद ही लिए जाएंगे.

    ग्रामविकास विभाग द्वारा जारी अधिसुचना में यह भी कहा गया है की चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित समयावधी में चुनाव लेना संभव नही है, राज्य सरकार को भी आयोग ने यह आग्रह किया है, की जब तक जिप.और पंस. के आमचुनाव नही होते है, तब तक यहां पर प्रशासक नियुक्त करें.

    इस मामले के बाद ग्रामविकास विभाग ने जिप.,पंस.अधिनियम 1961की कलम 91 ब, और 75 ब के तहत प्राप्त अधिकारीयों का ईस्तेमाल कर राज्य सरकार द्वारा जिलापरिषद और पंचायत समितीयों में आमचुनाव होने तक सुचारु कामकाज के लिए क्रमश मुख्य कार्यकारी और पंस. के बीडीओ को प्रशासक के तौर पर नियुक्त करने के आदेश जारी किए गए है.

    संभावित तौर पर राज्य में अब स्थानिय निकायों के चुनाव अगस्त माह के बाद ही होंगे, हालांकी अपेक्षानुरुप कार्यकाल समाप्त होने के बाद स्थानिय निकाय के सदस्यों और पदाधिकारीयों को आमचुनाव होने तक समयसीमा बढाकर नही दी गयी, और अब इन निकायों पर प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है.कोरोना महामारी और लॉकडाऊन के कारण पंचवार्षिकी कार्यकाल समाप्त होने के पुर्व आयोग द्वारा चुनाव लेना संभव नही हो पाया है.

    हालांकी बीच बीच में निकायों के उपचुनावों और नगरपंचायतों के चुनाव संपन्न हुए, लेकिन फिलहाल ओबीसी के राजनितीक आरक्षण पर अंतीम निर्णय हुए बिना चुनाव न लेने का फैसला सरकार ने लिया है.राजनितिक दलों और चुनाव लडने के ईच्छुक लोगों द्वारा आमचुनावों की लंबे समय से इंतेजार किया जा रहा है, लेकिन यवतमाल जिले की 8 नगरपालिकाओं,जिलापरिषद और 16 पंचायत समितीयों के सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद तकनिकी मुददों के कारण आमचुनावों के लिए सभी दलों कों पर्याप्त समय भी मिला है, जिससे जिले के सभी ग्रामीण और शहरी ईलाकों में आमचुनावों के पुर्व रणनितिक उठापठक, संगठन मजबुती और विभीन्न कार्यक्रमों के जरीए जनसंपर्क बढाने पर जोर दिया जा रहा है.

    बता दें कि, इससे पुर्व बिते माह ही जिले की 8 नगरपालिकाओं का पंचवार्षिक कार्यकाल समाप्त हो चुका है. जिससे यवतमाल नगरपालिका समेत 8 पालिकाओं में फिलहाल नगरपालिकाओं के मुख्याधिकारी ही बतौर प्रशासक कामकाज संभाल रहे है.विशेष बात यह रही की, मार्च माह की शुरुआत में ही पहली बार एैसा हुआ जब यवतमाल नगरपालिका का बजट बतौर प्रशासक मुख्याधिकारी द्वारा तैयार कर बिना नगराध्यक्ष, सदस्यों और सभापतियों के पारीत कर शहर के लिए विभीन्न विकासकामों और योजनाओं के लिए बजट में प्रावधान किया गया.

    बता दें कि, आगामी चुनावों के लिए भले ही सभी को समय मिला है, लेकिन चुनाव आयोग और चुनाव विभाग द्वारा फिलहाल चुनावों के पुर्व सभी तैयारीयों पर जोर दिया जा रहा है.बढती जनसंख्या और ईलाकों को ध्यान में लेकर इस बार आयोग ने जिलापरिषद, और नगरपरिषदों में कुल सदस्य संख्या में 17 फिसदी सिटें बढाने का फैसला लेकर इसे लागु कर दिया है, जिससे जिप. के 8 सर्कल और जिले में विभीन्न पालिकाओं समेत यवतमाल नगरपालिका में कुल सदस्य संख्या में 9 सिटें बढी है.

    इसे ध्यान में लेकर आयोग के निर्देशों पर जिला चुनाव प्रशासन और जिलाधिकारी की रिपोर्ट के बाद नगर रचना विभाग द्वारा नई प्रभाग रचना का नक्शा 10 मार्च को जारी कर इसपर अगली हरकतें और आक्षेप बुलाए है, इस पर फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर कारवाई की जा रही है. जबकी आगामी 22 मार्च के बाद ही अंतीम प्रभाग रचना घोषित होंगी.